ओडिशा 2025: त्रासदियों और चुनौतियों के बावजूद नक्सलियों पर कसी नकेल, औद्योगिक विकास पर जोर
ओडिशा 2025: त्रासदियों और चुनौतियों के बावजूद नक्सलियों पर कसी नकेल, औद्योगिक विकास पर जोर
(अरविंद मिश्रा)
भुवनेश्वर, 31 दिसंबर (भाषा) ओडिशा के लिए यह वर्ष उम्मीद और चुनौतियों से भरा रहा, जहां एक ओर राज्य में औद्योगिक क्षेत्र में प्रगति देखने को मिली, तो वहीं दूसरी ओर कॉलेज छात्रा के आत्मदाह, पुरी रथयात्रा के दौरान हुई भगदड़ और विधायकों के वेतन व भत्तों में बढ़ोतरी को लेकर उठा विवाद भी चर्चा में रहा।
राज्य के लिए एक प्रमुख सकारात्मक पहलू नक्सलमुक्त होने की दिशा में हुई प्रगति रही। इस दौरान सुरक्षा बलों ने छह नक्सलियों को मार गिराया, जिनमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केंद्रीय समिति का सदस्य गणेश उइके भी शामिल था, जिस पर 1.1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था।
इस वर्ष संशोधित आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत करीब 22 माओवादियों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया।
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने औद्योगिक क्षेत्र में हुई उपलब्धियों की सराहना की। इस वर्ष राज्य के लिए दो सेमीकंडक्टर इकाई और 4.38 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी मिली।
माझी ने कहा कि राज्य ने सेमीकंडक्टर इकाइयों के लिए 4,000 करोड़ रुपये के दो समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
हालांकि, विपक्षी बीजू जनता दल (बीजद) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार पर औद्योगीकरण को लेकर “झूठे दावे” करने का आरोप लगाया।
बीजद का दावा है कि ‘जेएसडब्ल्यू ग्रुप’ की 40,000 करोड़ रुपये की ईवी बैटरी परियोजना और एक लाख करोड़ रुपये की ‘आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील परियोजना’ को क्रमशः महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश स्थानांतरित कर दिया गया।
राज्य कई पीड़ादायक घटनाओं के कारण भी सुर्खियों में रहा। इन घटनाओं में बालासोर जिले में एक कॉलेज छात्रा की मौत का मामला भी शामिल है, जिसने यौन उत्पीड़न के मामले में न्याय की मांग करते हुए आत्मदाह कर लिया था।
जुलाई में हुई इस घटना ने तब व्यापक ध्यान खींचा, जब कॉलेज परिसर में जलती हुई युवती के दौड़ने का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया।
एक सप्ताह बाद पुरी जिले के डेलांग की एक नाबालिग लड़की झुलस गई और बाद में उसकी एम्स, दिल्ली में मौत हो गई। इसी तरह की घटनाएं केंद्रापड़ा और बरगढ़ जिलों से भी सामने आईं।
राज्य में महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों के मामले भी दर्ज किए गए, जिनमें गंजाम जिले के गोपालपुर समुद्र तट और पुरी जिले के बलिहारचंदी पर्यटन स्थल पर कॉलेज छात्राओं के साथ सामूहिक बलात्कार तथा क्योंझर जिले में एक किशोरी के साथ बलात्कार और हत्या की घटना शामिल है।
महिलाओं के खिलाफ अपराधों को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार की कड़ी आलोचना की। नेता प्रतिपक्ष नवीन पटनायक ने कानून-व्यवस्था के पूरी तरह से ध्वस्त होने का आरोप लगाया।
विपक्षी दलों का दावा है कि राज्य में भाजपा के 18 महीने के शासनकाल के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध के 40,947 मामले दर्ज किए गए।
हालांकि, माझी सरकार ने कहा कि ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई की जा रही है।
इस वर्ष राज्य में भीड़ हिंसा की घटनाएं भी सामने आईं।
एक मामले में, भीड़ ने पश्चिम बंगाल के एक प्रवासी मजदूर की कथित तौर पर विदेशी नागरिक होने के संदेह में हत्या कर दी।
सितंबर में देवगढ़ जिले के कुंदईजुरी गांव में 35 वर्षीय एक दलित व्यक्ति पर मवेशी तस्करी के संदेह में भीड़ ने हमला किया, जिसमें उसका एक सहयोगी घायल हो गया।
पुरी में वार्षिक रथ यात्रा के दौरान भगदड़ में तीन लोगों की मौत के बाद सरकार को कार्यक्रम के प्रबंधन को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ा। मुख्यमंत्री ने इस घटना को लेकर श्रद्धालुओं से माफी मांगी थीं।
भुवनेश्वर में दो नेपाली छात्रों की मौत का मामला भी चर्चा में रहा और पड़ोसी देश (नेपाल) के अधिकारियों ने राज्य का दौरा किया।
इसके अलावा, प्राकृतिक आपदाओं का असर भी राज्य पर बना रहा। उत्तरी जिलों में बाढ़ आई, बेमौसम बारिश से फसलों को नुकसान हुआ और चक्रवात ‘मोंथा’ तटीय राज्य को छू कर निकल गया।
सरकार ने उप-निरीक्षक भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश की, जिसमें 100 से अधिक अभ्यर्थियों को गिरफ्तार किया गया।
इस वर्ष राजनीतिक स्तर पर प्रमुख दलों में संगठनात्मक बदलाव भी देखने को मिले। भाजपा नेता मनमोहन सामल को राज्य इकाई का अध्यक्ष पुनर्नियुक्त किया गया, जबकि नवीन पटनायक लगातार नौवीं बार बीजद अध्यक्ष बने रहे। भक्त चरण दास को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
माझी सरकार को उस समय भी आलोचना झेलनी पड़ी, जब विधानसभा ने विधायकों के वेतन और भत्तों को तीन गुना करने वाले तीन विधेयक सर्वसम्मति से पारित किए। इसके तहत विधायकों का न्यूनतम पैकेज 1.10 लाख रुपये से बढ़ाकर 3.45 लाख रुपये प्रति माह कर दिया गया। ये विधेयक अभी राज्यपाल की मंजूरी की प्रतीक्षा में हैं।
भाषा राखी शफीक
शफीक

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