परिसीमन, मतदाता सूची के मुद्दे पर राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा, कार्यवाही करीब 40 मिनट रही बाधित
परिसीमन, मतदाता सूची के मुद्दे पर राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा, कार्यवाही करीब 40 मिनट रही बाधित
( तस्वीर सहित )
नयी दिल्ली, 11 मार्च (भाषा) मतदाता सूची में कथित हेराफेरी और लोकसभा सीटों के परिसीमन के मुद्दे पर कांग्रेस और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सहित अन्य विपक्षी दलों ने मंगलवार को राज्यसभा में भारी हंगामा किया, जिसके कारण उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होने के 20 मिनट बाद करीब 40 मिनट के लिए बाधित हुई।
सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर उपसभापति हरिवंश ने आवश्यक दस्तावेज पटल पर रखवाने के बाद बताया कि कांग्रेस, द्रमुक, आम आदमी पार्टी, बीजू जनता दल (बीजद) सहित कुछ अन्य दलों के सदस्यों की ओर से नियम 267 के तहत कुल 21 नोटिस मिले हैं।
उन्होंने सभी नोटिस अस्वीकार कर दिए। इसके बाद विपक्षी दलों ने हंगामा और नारेबाजी आरंभ कर दी। द्रमुक के कुछ सदस्य आसन के निकट आकर नारेबाजी करने लगे।
हंगामे के बीच ही उपसभापति ने शून्यकाल आरंभ किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राजीव भट्टाचार्य सहित कुछ अन्य सदस्यों ने अपने-अपने मुद्दे उठाए।
इसी बीच, द्रमुक के आर गिरिराजन ने शून्यकाल के तहत दक्षिणी राज्यों में प्रस्तावित परिसीमन का मुद्दा उठाया और कहा कि यह तमिलनाडु को कतई स्वीकार नहीं है।
उन्होंने कहा कि दक्षिण के राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है लेकिन वहां की लोकसभा सीटों की संख्या में कटौती करके उन्हें ‘दंडित’ किया जा रहा है।
गिरिराजन ने कहा कि केरल, तमिलनाडु और पंजाब जैसे राज्यों ने परिवार नियोजन लागू किया है लेकिन उनपर संसदीय सीट प्रतिनिधित्व खोने का खतरा मंडरा रहा है जबकि खराब परिवार नियोजन कार्यक्रमों और उच्च प्रजनन दर वाले राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान को संसदीय सीटों का फायदा मिलेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘दक्षिणी राज्यों ने पिछले दशकों में देश की कुल आबादी में अपनी हिस्सेदारी में गिरावट देखी है, जबकि उत्तर में हिस्सेदारी बढ़ी है। यदि जनसंख्या को लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन या पुनर्निर्धारण का एकमात्र आधार बनाया जाता है, तो संसद में दक्षिण से भेजे जाने वाले सांसदों का अनुपात वर्तमान की तुलना में गिर जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘परिसीमन के लिए केंद्र सरकार का दृष्टिकोण मौलिक रूप से अन्यायपूर्ण है।’’ उन्होंने मांग की कि निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के लिए 1971 की जनगणना को आधार बनाया जाए।
गिरिराजन की ओर से अपनी बात रखे जाने के बाद विपक्षी दलों का हंगामा और तेज हो गया। द्रमुक के कई सदस्य और एमडीएमके के वाइको आसन के निकट आ गए। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य भी अपने स्थान पर हंगामा करते दिखे।
इस पर, उपसभापति हरिवंश ने कहा कि हंगामा कर रहे सदस्य जिस मुद्दे पर चर्चा चाहते हैं, उसे गिरिराजन उठा चुके हैं।
उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थान पर लौटने को कहा लेकिन उन्होंने अपना विरोध जारी रखा। दक्षिण के राज्यों से ताल्लुक रखने वाले सदस्यों ने विरोध स्वरूप काले रंग के कपड़े पहने थे। हंगामा न थमता देख हरिवंश ने कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
चर्चा के लिए नोटिस देने वालों में तृणमूल कांग्रेस के मोहम्मद नदीमुल हक, सागरिका घोष, डोला सेन और सुष्मिता देव, बीजू जनता दल (बीजद) के सस्मित पात्रा और सुलता देव, कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, सैयद नसीर हुसैन और अजय माकन, शिवसेना-यूबीटी की प्रियंका चतुर्वेदी और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह शामिल थे।
एमडीएमके के वाइको और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के पी संदोष कुमार ने दक्षिणी राज्यों में आगामी परिसीमन अभ्यास के बारे में चिंताओं पर चर्चा की मांग की। द्रमुक के पी विल्सन ने तमिलनाडु को तीन भाषा फार्मूले का पालन न करने के लिए वित्तीय अनुदान जारी न करने के मुद्दे पर चर्चा की मांग की थी।
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र मनीषा
मनीषा

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