नयी दिल्ली, 14 मई (भाषा) भारत भर में 3,500 से अधिक कैदियों ने उच्चतम न्यायालय कानूनी सेवा समिति से कानूनी सहायता मांगी है और समिति अपनी सेवाएं देने की प्रक्रिया में है। एससीएलएससी की ओर से यह जानकारी दी गई है।
एससीएलएससी द्वारा यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि पांच मई तक लगभग 3,800 कैदियों ने औपचारिक रूप से उच्चतम न्यायालय कानूनी सेवा समिति (एससीएलएससी) से कानूनी सहायता प्राप्त करने का अनुरोध किया।
एससीएलएससी ने कहा, “सभी राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों (एसएलएसए) और जेल विभागों के सहयोग से 10 जनवरी, 2025 को शुरू किए गए इस अभियान का उद्देश्य उन कैदियों के लिए न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करना है, जो सक्षम कानूनी उपाय होने के बावजूद प्रतिनिधित्व से वंचित रह जाते हैं।”
इस अभियान का उद्देश्य “कानूनी रूप से कमजोर” कैदियों की मदद करना था, विशेष रूप से उन कैदियों की जिन्हें तत्काल कानूनी हस्तक्षेप की आवश्यकता है, इसके अलावा वे कैदी जिन्होंने दोषसिद्धि के खिलाफ अपील दायर नहीं की है और वे जो अपनी अधिकतम सजा के आधे से अधिक समय तक जेल में रहने के बावजूद जमानत हासिल करने में असफल रहे हैं।
इस कवायद से उन लोगों को भी मदद मिलेगी जिनकी सजा माफी या समयपूर्व रिहाई की याचिका खारिज कर दी गई थी और वे इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने में असफल रहे।
विज्ञप्ति में कहा गया, “एससीएलएससी, एसएलएसए, उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति (एचसीएलएससी) और जेल अधिकारियों के बीच व्यापक समन्वय के परिणामस्वरूप, 4,216 ऐसे कैदियों की शुरुआत में पहचान की गई थी। एक अप्रैल को न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने एचसीएलएससी और एसएलएसए के अध्यक्षों के साथ एक राष्ट्रीय स्तर की डिजिटल बैठक बुलाई, जिसमें उनसे जेलों का दौरा करने के लिए विशेष समितियों का गठन करने और अभियान के तहत कानूनी सहायता प्राप्त करने के लिए पहचाने गए कैदियों को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित करने का आग्रह किया गया।”
भाषा प्रशांत पवनेश
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