पी सरनिया: महासागर अध्ययन के बारे में सपने देखने से लेकर अग्निकुल के लिए रॉकेट बनाने तक का सफर |

पी सरनिया: महासागर अध्ययन के बारे में सपने देखने से लेकर अग्निकुल के लिए रॉकेट बनाने तक का सफर

पी सरनिया: महासागर अध्ययन के बारे में सपने देखने से लेकर अग्निकुल के लिए रॉकेट बनाने तक का सफर

पी सरनिया: महासागर अध्ययन के बारे में सपने देखने से लेकर अग्निकुल के लिए रॉकेट बनाने तक का सफर
Modified Date: June 30, 2024 / 05:55 pm IST
Published Date: June 30, 2024 5:55 pm IST

नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) पोर्ट ब्लेयर में पली-बढ़ी होने के चलते महासागर अध्ययन की असीम संभावनाओं के बारे में सपने देखने से लेकर रॉकेट बनाने के क्षेत्र में अग्रणी होने तक युवा इंजीनियर सरनिया पेरियास्वामी के लिए विभिन्न चीजें सीखने का एक रोमांचक दौर रहा।

चेन्नई स्थित अंतरिक्ष स्टार्ट-अप ‘अग्निकुल कॉसमॉस’ की इंजीनियर 30 वर्षीय पेरियास्वामी ने 3-डी मुद्रित प्रक्षेपण यान ‘अग्निबाण सब-ऑर्बिटल टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर’ (एसओआरटीईडी) को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एसओआरटीईडी ने 30 मई को अपनी पहली उड़ान भरी थी।

‘अग्निबाण-एसओआरटीईडी’ का प्रक्षेपण पहले 22 मार्च को निर्धारित किया गया था, लेकिन कुछ कारणों से इसे बाद के लिए टाल दिया गया था।

सरनिया पेरियास्वामी ने यहां एसआईए-इंडिया द्वारा आयोजित ‘इंडिया स्पेस कांग्रेस’ के इतर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘जब भी कोई प्रक्षेपण होता है, तो बहुत अधिक बाहरी दबाव होता है। हर कोई प्रक्षेपण का इंतजार कर रहा होता है और यदि आप इसे पूरा नहीं कर पाते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप कहीं विफल हो रहे हैं।’’

पेरियास्वामी ने अपनी स्कूली शिक्षा और स्नातक की पढ़ाई अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह की राजधानी एवं अपने जन्म स्थान पोर्ट ब्लेयर में की। उन्होंने डॉ. बी.आर. आंबेडकर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पोर्ट ब्लेयर से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और आईआईटी-मद्रास से महासागर प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर किया।

‘अग्निकुल कॉसमॉस’ का निर्माण आईआईटी-मद्रास परिसर में राष्ट्रीय दहन अनुसंधान एवं विकास केंद्र के प्रमुख सत्यनारायण चक्रवर्ती के मार्गदर्शन में हुआ था।

पेरियास्वामी ने कहा, ‘‘मैंने पहले प्रणाली का अध्ययन करना शुरू किया क्योंकि मुझे कुछ जानकारी प्राप्त करनी थी और रॉकेट के विभिन्न भागों को समझना था।’’

यान निदेशक के रूप में, पेरियास्वामी ने रॉकेट के प्रारंभिक डिजाइन विकास से लेकर यान के निर्माण पर काम किया।

उन्होंने कहा, ‘‘यान में विभिन्न उप-प्रणालियां होती हैं। सभी उप-प्रणालियों को तैयार करना, उन्हें सही ढंग से एकीकृत करना, प्रत्येक उप-घटक पर कार्यक्षमता परीक्षण करना और फिर पूरे यान को लॉन्च पैड में एकीकृत करना यान निदेशक के कार्यक्षेत्र में आता है।’’

‘अग्निबाण एसओआरटीईडी’ के सफल प्रक्षेपण के बाद पेरियास्वामी और उनके सहयोगियों ने उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने के लिए कक्षीय रॉकेट विकसित करने पर काम करना शुरू कर दिया है।

पेरियास्वामी ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास नहीं था कि बिना किसी पृष्ठभूमि के मैं अंतरिक्ष उद्योग में जा सकती हूं।’’ उन्होंने कहा कि वह रॉकेट के विकास और निर्माण के हर पल का आनंद ले रही हैं।

भाषा देवेंद्र नेत्रपाल

नेत्रपाल

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