पंडित रविशंकर ने दी दुनिया में भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई पहचान

पंडित रविशंकर ने दी दुनिया में भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई पहचान

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  • Publish Date - December 11, 2017 / 11:52 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:44 PM IST

सितारवादक पंडित रविशंकर की आज पुण्यतिथि है। कहा जाता है कि रवि शंकर का सितार से गहरा नाता था।रवि शंकर और सितार मानों एक-दूसरे के लिए ही बने थे। पंडित रविशंकर को सदी के सबसे महान संगीतकारों में गिना जाता है। पश्चिम में उनकी लोकप्रियता बेहद थी।  कहा जाता है कि रविशंकर के संगीत में आध्यात्मिक शांति छिपी थी। 92 साल की उम्र में जब उनकी मृत्यु हुई तब भी उनमें संगीत का जुनून भरा हुआ था. उन्होंने दुनिया में भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई पहचान दी थी।आज उनकी पुण्यतिथि पर सारा देश उन्हें याद कर रहा है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने भी उन्हें नमन किया है.

वे अपने आपको हमेशा चुस्त दुरुस्त रखते थे। 91 साल की उम्र में जब उनसे एक पत्रकार ने सवाल किया की इतनी से अधिक उम्र होने के बाद भी वह जवानों जैसा जोश कहां से लाते हैं तब उन्होंने कहा था, भले ही मेरा शरीर 91 साल का हो गया है, लेकिन मेरा मन तो अब भी जवान है।पंडित रव‌िशंकर को एक सितारवादक के रूप में निखारने में उनके बड़े भाई उदयशंकर ने अहम भूमिका निभाई थी। एक बातचीत में उन्होंने बताया था कि उनके जीवन की दिशा तय करने में उनके बड़े भाई उदय शंकर का काफी योगदान रहा.

पंडित रविशंकर की ख्याति का अंदाजा कुछ यूं लगाया जा सकता हैं कि बीटल्स ग्रुप और जॉर्ज हैरीसन जैसे प्रख्यात अंतरराष्ट्रीय संगीतकार भी उन्हें अपना प्रेरणा स्त्रोत मानते थे। पंडित रविशंकर के मुताबिक उनके जीवन की प्रेरणा संगीत था. 

 

पंडित रविशंकर का जन्म 7 अप्रैल, 1920 को बनारस में हुआ था। उन्होंने संगीत की शिक्षा उस्ताद अलाउद्दीन खां से ली थी। वह लंबे समय तक तबला उस्ताद अल्ला रक्खा खां, किशन महाराज और सरोद वादक उस्ताद अली अकबर खां के साथ भी जुड़े रहे. शुरुआत में वह‌ नृत्‍य में रुचि रखते थे लेकिन अठारह वर्ष की उम्र में उन्होंने नृत्य छोड़कर सितार सीखना शुरू किया।पंडित रविशंकर ने पहला कार्यक्रम 10 साल की उम्र में दिया था। भारत में पंडित रविशंकर ने पहला कार्यक्रम 1939 में दिया। देश के बाहर पहला कार्यक्रम उन्होंने 1954 में तत्कालीन सोवियत संघ में दिया और यूरोप में पहला कार्यक्रम 1956 में दिया।भारतीय सिनेमा की महानतम फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ में पंडित रविशंकर ने ही संगीत दिया था। अपु-त्रयी की तीनो फिल्मों में पंडित रविशंकर का ही संगीत था। अपु-त्रयी का निर्माण सत्यजित रे ने किया था। पंडित रविशंकर ने हिंदी फिल्म अनुराधा में भी संगीत दिया था। पंडित रविशंकर 1986 में राज्यसभा के मानद सदस्य भी नामित किए गए थे.