कश्मीर से प्रधानमंत्री पैकेज के कर्मचारियों के स्थानांतरण की मांग को लेकर पंडितों का जम्मू में प्रदर्शन

कश्मीर से प्रधानमंत्री पैकेज के कर्मचारियों के स्थानांतरण की मांग को लेकर पंडितों का जम्मू में प्रदर्शन

कश्मीर से प्रधानमंत्री पैकेज के कर्मचारियों के स्थानांतरण की मांग को लेकर पंडितों का जम्मू में प्रदर्शन
Modified Date: November 29, 2022 / 08:02 pm IST
Published Date: May 25, 2022 4:35 pm IST

जम्मू, 25 मई (भाषा) कश्मीरी पंडितों के एक समूह ने बुधवार को यहां प्रधानमंत्री पैकेज के तहत कश्मीर में कार्यरत समुदाय के सदस्यों को स्थानांतरित करने की मांग के समर्थन में प्रदर्शन किया। प्रदर्शकारी इस महीने की शुरुआत में अपने सहयोगी राहुल भट की आतंकवादियों द्वारा हत्या के बाद विरोध कर रहे हैं।

प्रदर्शनकारी नवगठित कश्मीरी पंडित यूनाइटेड फ्रंट (केपीयूएफ) के बैनर तले जम्मू के मध्य में तवी पुल के पास महाराजा हरि सिंह की प्रतिमा के सामने जमा हो गए और जम्मू-कश्मीर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रधानमंत्री पैकेज के तहत घाटी में सेवा कर रहे समुदाय के सदस्यों की सुरक्षा की मांग की।

केपीयूएफ के एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी सतीश किसू ने कहा ‘‘हम यहां प्रदर्शन कर रहे प्रधानमंत्री पैकेज के कर्मचारियों का समर्थन करने आए हैं, जो घाटी में स्थिति में सुधार होने तक अपने स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं।”

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उन्होंने कहा कि 12 मई को मध्य कश्मीर के बडगाम जिले के चदूरा इलाके में दिनदहाड़े कार्यालय के अंदर गोली मारकर भट्ट की हत्या को ध्यान में रखते हुए पंडित कर्मचारियों की मांग वाजिब है।

आतंकवादियों द्वारा लक्षित हत्याओं की निंदा करते हुए, किसु ने कहा कि घाटी में सुरक्षा की स्थिति अनुकूल नहीं है। यह मंगलवार को श्रीनगर में उनके घर के बाहर एक पुलिसकर्मी की हत्या और उसकी नाबालिग बेटी के घायल होने से स्पष्ट है।

पाकिस्तान विरोधी और भारत समर्थक नारेबाजी के बीच प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर घाटी में प्रधानमंत्री पैकेज के कर्मचारियों को बंधक बनाने का आरोप लगाया।

केपीयूएफ के प्रवक्ता कुलदीप पंडिता ने कहा ‘‘भट की हत्या प्रशासन की विफलता का परिणाम है। वह सुरक्षा चूक के कारण मारे गये, क्योंकि उनके हत्यारे कार्यालय में घुस गए और बिना किसी प्रतिरोध का सामना किए मौके से भाग गए। इस घटना से समुदाय में दहशत फैल गई।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि लगातार सरकारों ने कश्मीरी पंडितों को ‘‘बलि के बकरे’’ के रूप में इस्तेमाल किया।

कुलदीप ने कहा ‘‘हम अपने समुदाय के खिलाफ अत्याचार बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं हैं। हम प्रधानमंत्री पैकेज कर्मचारियों के स्थानांतरण को सुनिश्चित करने के लिए अपना विरोध जारी रखेंगे।’’

भाषा फाल्गुनी उमा

उमा


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