जम्मू, आठ फरवरी (भाषा) प्रवासी कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने सरकारी जमीन को वापस लेने के लिए जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान का स्वागत किया है तथा इस केंद्रशासित प्रदेश में अलगाववाद को कथित रूप से प्रोत्साहित करने में नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की भूमिका की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मांग की है।
पनुन कश्मीर के अध्यक्ष अजय चरूंगू द्वारा बुधवार को इस आशय का बयान जारी किया गया। यह बयान ऐसे समय में आया है, जब पूर्व मुख्यमंत्रियों– नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती समेत जम्मू-कश्मीर के कई नेताओं ने इस अभियान के विरुद्ध चिंता प्रकट की है।
मुफ्ती ने हाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर ‘‘गरीबी और वंचित तबकों के घरों को तोड़कर’’ जम्मू कश्मीर को अफगानिस्तान में तब्दील कर देने का आरोप लगाया था जबकि अब्दुल्ला ने कहा था कि वह लोगों द्वारा सरकारी जमीन का अतिक्रमण किये जाने के खिलाफ हैं लेकिन प्रशासन को उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए।
राजस्व विभाग के आयुक्त सचिव विजय कुमार बिधूड़ी ने नौ जनवरी को जारी एक परिपत्र में सभी उपायुक्तों को जनवरी के अंत तक रोशनी और कहचराई सहित सभी सरकारी भूमि से 100 प्रतिशत अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था, जिसके बाद से जम्मू कश्मीर में 10 लाख कनाल से अधिक जमीन अतिक्रमण से मुक्त करायी गयी है।
चरुंगू ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस केंद्रशासित प्रदेश में खासकर बड़ी राजनीतिक हस्तियों द्वारा अवैध रूप से किये गये अतिक्रमण एवं निर्माण के खिलाफ जम्मू कश्मीर प्रशासन की कार्रवाई का हम स्वागत करते हैं। पनुन कश्मीर जम्मू कश्मीर और केंद्र के नेतृत्व से ऐसी भ्रष्ट एवं अवैध गतिविधि को न केवल भ्रष्टाचार के कृत्य , बल्कि अंदरूनी अशांति फैलाने की कार्रवाई के रूप में देखने का आह्वान करता है।’’
उन्होंने जम्मू कश्मीर में ‘‘अलगाववाद एवं इस्लामी कट्टरपंथ को बढ़ावा देने में नेकां और पीडीपी की भूमिका की जांच, आकलन एवं विश्लेषण’’ के लिए विशेष जांच के गठन की मांग की।
भाषा
राजकुमार सिम्मी
सिम्मी
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