पतंजलि विज्ञापन मामला : न्यायालय ने उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण को फटकार लगाई

पतंजलि विज्ञापन मामला : न्यायालय ने उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण को फटकार लगाई

  •  
  • Publish Date - April 30, 2024 / 09:08 PM IST,
    Updated On - April 30, 2024 / 09:08 PM IST

नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से जुड़े भ्रामक विज्ञापनों के मामले में छह साल तक उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण के कार्रवाई नहीं करने को लेकर मंगलवार को उसे कड़ी फटकार लगाई और कहा कि यदि यह ‘‘सहानुभूति एवं दया’’ चाहता है तो अदालत के प्रति ईमानदार रहना होगा।

हलफनामों में दिये गए स्पष्टीकरण पर असंतोष प्रकट करते हुए शीर्ष अदालत ने सवाल किया कि प्राधिकरण न्यायालय के 10 अप्रैल के आदेश के बाद ही ‘‘क्यों जगा।’’

इन हलफनामों में राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण द्वारा दाखिल किया गया एक शपथपत्र भी है।

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा, ‘‘इसका यह मतलब हो सकता है कि जब आप आगे बढ़ना चाहते हैं तो बिजली की गति से बढ़ते हैं और जब आप आगे नहीं बढ़ना चाहते, आप हमेशा सुस्त पड़े रहते हैं। इससे यही प्रदर्शित होता है।’’

सुनवाई के दौरान, पीठ ने भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा समाचार पत्रों में प्रकाशित बिना शर्त सार्वजनिक माफी में ‘‘उल्लेखनीय सुधार’’ की मंगलवार को सराहना की।

पीठ ने शीर्ष अदालत के बारे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) प्रमुख डॉ आर वी अशोकन की टिप्पणियों का भी संज्ञान लिया और चेतावनी दी कि इसके ‘‘गंभीर परिणाम’’ हो सकते हैं।

पतंजलि की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा कि उन्होंने एक बहुत परेशान करने वाला साक्षात्कार पढ़ा जो आईएमए प्रमुख ने सोमवार को दिया था।

रोहतगी ने कहा, ‘‘उन्होंने (आईएमए अध्यक्ष ने) कहा है कि अदालत ने हम पर उंगली क्यों उठाई। हमने बहुत अच्छा काम किया है। हमारे लोगों की मौत हुई।’’

न्यायमूर्ति अमानउल्लाह ने आईएमए के वकील से कहा, ‘‘…गंगा में काफी पानी बह चुका है और कार्यवाही ने मोड़ ले लिया है। और अधिक गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहें।’’

न्यायमूर्ति कोहली ने कहा, ‘‘दूसरे पक्ष ने जो कुछ कहा है यदि वह सही है तो हम आपसे कहना चाहते हैं कि आप सराहना के पात्र नहीं हैं।’’

रोहतगी ने आईएमए प्रमुख के साक्षात्कार पर एक अंग्रेजी समाचार पत्र में प्रकाशित खबर का हवाला देते हुए कहा कि वह इसके (साक्षात्कार के) प्रकाशन की एक प्रति दाखिल करेंगे।

सोमवार को पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में, आईएमए प्रमुख ने कहा था कि यह ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ है कि उच्चतम न्यायालय ने आईएमए और निजी डॉक्टरों की प्रैक्टिस की भी आलोचना की।

प्राधिकरण ने शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में 10 अप्रैल के आदेश के बाद पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के खिलाफ उठाए गए कदमों का उल्लेख किया और कहा कि इससे प्रदर्शित हुआ है कि वह (प्राधिकरण) ‘‘अपने कर्तव्यों के प्रति सतर्क’ रहा है।

पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘अचानक, उन्हें अपनी शक्ति और जिम्मेदारी का एहसास होता है।’’ न्यायालय ने कहा, ‘‘अब आपको एहसास हुआ है कि एक कानून है। आप इसके प्रति सचेत हो गये हैं। आपको यह भी एहसास हो गया है कि आपके पास वे सभी शक्तियां हैं…जिनसे आप बेखबर थे, जब तक कि अदालत ने आपको जगा नहीं दिया।’’

न्यायमूर्ति अमानउल्लाह ने कहा, ‘‘आप खुद को प्रमाण पत्र दे रहे हैं।’’

न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने कहा कि उन्होंने शुरुआत में ही प्राधिकरण से कहा था कि अगर वह सहानुभूति और दया चाहता है तो अदालत के प्रति ईमानदार रहे क्योंकि यही एकमात्र चीज है जो उसे बचा सकती है।

प्राधिकरण की ओर से पेश हुए वकील ने अदालत से आग्रह किया कि उन्हें मामले में बेहतर हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी जाए।

पीठ ने हलफनामा दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय दिया और मामले की सुनवाई 14 मई के लिए निर्धारित कर दी।

अदालत 2022 में आईएमए द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कोविड टीकाकरण और चिकित्सा की आधुनिक पद्धतियों को बदनाम करने का अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है।

भाषा

सुभाष माधव

माधव