शिवकुमार के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी वापस लेने को चुनौती संबंधी याचिका मुख्य न्यायाधीश को संदर्भित

शिवकुमार के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी वापस लेने को चुनौती संबंधी याचिका मुख्य न्यायाधीश को संदर्भित

शिवकुमार के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी वापस लेने को चुनौती संबंधी याचिका मुख्य न्यायाधीश को संदर्भित
Modified Date: January 5, 2024 / 08:39 pm IST
Published Date: January 5, 2024 8:39 pm IST

बेंगलुरु, पांच जनवरी (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय की एकल-न्यायाधीश पीठ ने शुक्रवार को डी.के. शिवकुमार के खिलाफ एक मामले की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को दी गई मंजूरी को वापस लेने को चुनौती देने वाली याचिका को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया ताकि इसे उनकी पसंद की बड़ी पीठ को सौंपा जा सके।

न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित ने कहा, “मुझे सवालों की ‍व्यापकता के कारण डर लग रहा है, इतने बड़े मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए मुझे लगता है कि खंडपीठ की आवश्यकता है।” इसके बाद न्यायाधीश ने आदेश दिया, “याचिकाकर्ताओं के सुविज्ञ वकील और राज्य के सुविज्ञ महाधिवक्ता को सुनने के बाद, मेरी सुविचारित राय है कि इसको माननीय मुख्य न्यायाधीश के समक्ष उनकी पसंद की पीठ और (न्यायाधीशों के) संख्या बल पर विचार के लिए पेश किया जाना चाहिए।”

भाजपा नेता और विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल और सीबीआई द्वारा दायर दो अलग-अलग याचिकाएं शुक्रवार को एकल न्यायाधीश की पीठ के समक्ष आईं।

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यतनाल की याचिका पहले दायर की गई थी और अदालत ने उनकी याचिका की वैधता पर सवाल उठाया था और उन्हें आपराधिक कार्यवाही में प्रभावित पक्ष कैसे माना जा सकता है। यतनाल के वकील ने अदालत में कहा कि किसी भी नागरिक के पास निजी तौर पर सरकार के कैबिनेट फैसले को चुनौती देने का अधिकार है। उन्होंने का कि सरकार ने आपराधिक अभियोजन को रोक दिया है।

अदालत ने कहा कि यह एक अनोखा मामला है।

अदालत ने कहा कि सवाल यह है कि क्या पिछली सरकार द्वारा लिया गया निर्णय (मंजूरी देना) बाद में चुनी जाने वाली सरकार पर बाध्यकारी है।

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि चूंकि सीबीआई ने भी सहमति वापस लेने को चुनौती दी है, इसलिए यतनाल द्वारा दायर याचिका की वैधता पर भी विचार करना होगा।

भाषा प्रशांत माधव

माधव


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