नाबालिग से शारीरिक संबंध दुष्कर्म है, पीड़ित की सहमति मायने नहीं रखती: अदालत
नाबालिग से शारीरिक संबंध दुष्कर्म है, पीड़ित की सहमति मायने नहीं रखती: अदालत
नयी दिल्ली, 10 जून (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने एक व्यक्ति को जनवरी 2015 में 14 साल की एक लड़की के साथ बलात्कार करने का दोषी करार देते हुये कहा कि अगर नाबालिग के साथ शारीरिक संबंध बनाया जाता है तो यह बलात्कार का अपराध होगा और ऐसे मामलों में सहमति मायने नहीं रखती है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमित सहरावत उस व्यक्ति के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहे थे जिस पर बलात्कार के दंडात्मक प्रावधान और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा छह (गंभीर प्रवेशन यौन उत्पीड़न) के तहत आरोप लगाया गया था।
अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक विनीत दहिया उपस्थित हुए। अदालत ने आरोपी के साथ स्वेच्छा से शारीरिक संबंध स्थापित करने के कारण गर्भवती होने और बाद में बच्चे को जन्म देने के बारे में लड़की के ‘सुसंगत’ और ‘विश्वसनीय’ बयानों पर गौर किया।
अदालत ने बचाव पक्ष के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि घटना के समय लड़की बालिग थी। अदालत ने कहा कि सबूतों के अनुसार वह लगभग 14 साल की थी।
अदालत ने कहा, ‘‘बचाव पक्ष ने पहले ही अभियोजन पक्ष के मामले को शारीरिक संबंधों की सीमा तक स्वीकार कर लिया है, इस प्रकार यदि किसी नाबालिग लड़की के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए जाते हैं, तो यह पूरी तरह से बलात्कार और प्रवेशन यौन उत्पीड़न की परिभाषा के अंतर्गत आता है और मामले में सहमति मायने नहीं रखती है।’’
अदालत ने कहा कि डीएनए प्रोफाइलिंग के मुताबिक आरोपी ही बच्ची का जैविक पिता है।
अदालत ने कहा कि आरोपी को बलात्कार और प्रवेशन यौन उत्पीड़न का दोषी पाया गया है। अदालत सजा की अवधि से जुड़ी दलीलों पर सुनवाई बाद में करेगी।
भाषा संतोष रंजन
रंजन

Facebook



