प्रधानमंत्री मोदी ने बुलेट ट्रेन परियोजना के अभियंताओं से अनुभवों का दस्तावेजीकरण करने को कहा

प्रधानमंत्री मोदी ने बुलेट ट्रेन परियोजना के अभियंताओं से अनुभवों का दस्तावेजीकरण करने को कहा

प्रधानमंत्री मोदी ने बुलेट ट्रेन परियोजना के अभियंताओं से अनुभवों का दस्तावेजीकरण करने को कहा
Modified Date: November 16, 2025 / 07:18 pm IST
Published Date: November 16, 2025 7:18 pm IST

(तस्वीर के साथ)

नयी दिल्ली, 16 नवंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना पर काम कर रहे अभियंताओं से अपने अनुभवों का दस्तावेजीकरण करने को कहा है, जो अन्यत्र इसी तरह की परियोजनाओं की योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने में उपयोगी होगा।

मोदी शनिवार को सूरत में मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेलवे (एमएएचएसआर) परियोजना के अभियंताओं और अन्य श्रमिकों के साथ बातचीत कर रहे थे।

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यदि परियोजना से प्राप्त अनुभवों को एक ‘ब्ल्यू बुक’ की तरह दर्ज और संकलित किया जाए तो देश बुलेट ट्रेन के बड़े पैमाने पर क्रियान्वयन की दिशा में निर्णायक रूप से आगे बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि भारत को बार-बार प्रयोग करने से बचना चाहिए और इसके बजाय मौजूदा मॉडल से सीखी गई बातों को दोहराना चाहिए।

मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि दोहराव तभी सार्थक होगा जब यह स्पष्ट समझ हो कि कुछ कदम क्यों उठाए गए। उन्होंने आगाह किया कि अन्यथा, बिना किसी उद्देश्य या दिशा के दोहराव हो सकता है।

उन्होंने सुझाव दिया कि इस तरह के रिकॉर्ड रखने से भविष्य के छात्रों को लाभ होगा और राष्ट्र निर्माण में योगदान मिलेगा। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम अपना जीवन यहीं समर्पित करेंगे और देश के लिए कुछ मूल्यवान छोड़ जाएंगे।’’

मोदी ने परियोजना की प्रगति के बारे में जानकारी ली, जिसमें गति और समय-सारिणी के लक्ष्यों का पालन भी शामिल था।

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि श्रमिकों ने उन्हें आश्वासन दिया कि परियोजना बिना किसी कठिनाई के सुचारू रूप से आगे बढ़ रही है।

केरल की एक इंजीनियर ने गुजरात के नवसारी स्थित नॉइज बैरियर फैक्ट्री में काम करने का अपना अनुभव साझा किया, जहां सरिया की वेल्डिंग के लिए रोबोटिक इकाइयों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

मोदी ने उनसे पूछा कि भारत की पहली बुलेट ट्रेन बनाने के अनुभव को उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कैसा माना और इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बारे में वे अपने परिवारों के साथ क्या साझा करती हैं। उन्होंने देश की पहली बुलेट ट्रेन में योगदान देने पर गर्व व्यक्त किया और इसे अपने परिवार के लिए एक “ड्रीम प्रोजेक्ट” और “गर्व का क्षण” बताया।

राष्ट्र सेवा की भावना पर चिंतन करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि जब राष्ट्र के लिए काम करने और कुछ नया योगदान देने की भावना जागृत होती है, तो यह अपार प्रेरणा का स्रोत बन जाती है।

उन्होंने इसकी तुलना भारत के अंतरिक्ष सफर के साथ करते हुए याद किया कि देश का पहला उपग्रह प्रक्षेपित करने वाले वैज्ञानिकों को कैसा महसूस हुआ होगा और आज सैकड़ों उपग्रह प्रक्षेपित किए जा रहे हैं।

बेंगलुरु की एक अन्य कर्मचारी एवं मुख्य इंजीनियरिंग प्रबंधक के रूप में कार्यरत श्रुति ने कठोर डिजाइन और इंजीनियरिंग नियंत्रण प्रक्रियाओं के बारे में बताया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि क्रियान्वयन के प्रत्येक चरण में, उनकी टीम फायदे और नुकसान का मूल्यांकन करती है, समाधानों की पहचान करती है और दोषरहित क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए विकल्पों की खोज करती है।

एमएएचएसआर परियोजना लगभग 508 किलोमीटर लंबी है, जिसमें गुजरात और दादरा एवं नगर हवेली में 352 किलोमीटर और महाराष्ट्र में 156 किलोमीटर शामिल हैं। यह कॉरिडोर साबरमती, अहमदाबाद, आणंद, वडोदरा, भरूच, सूरत, बिलिमोरा, वापी, बोईसर, विरार, ठाणे और मुंबई सहित प्रमुख शहरों को जोड़ेगा, जो भारत के परिवहन बुनियादी ढांचे में एक परिवर्तनकारी कदम है।

बयान में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उन्नत इंजीनियरिंग तकनीकों से निर्मित, इस परियोजना में 465 किलोमीटर (मार्ग का लगभग 85 प्रतिशत) वायडक्ट पर आधारित है, जो न्यूनतम भूमि व्यवधान और बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करता है। बयान में कहा गया है कि अब तक 326 किलोमीटर वायडक्ट का काम पूरा हो चुका है और 25 में से 17 नदी पुलों का निर्माण हो चुका है।

पूरा होने पर, बुलेट ट्रेन मुंबई और अहमदाबाद के बीच यात्रा के समय को लगभग दो घंटे तक कम कर देगी, जिससे अंतर-शहर यात्रा तेज, आसान और अधिक आरामदायक बनकर क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।

इस परियोजना से पूरे कॉरिडोर पर व्यापार, पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने और क्षेत्रीय विकास को गति मिलने की उम्मीद है।

भाषा अमित प्रशांत

प्रशांत


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