Vande Matram 150 Years Celebration: पीएम मोदी ने की स्मरणोत्सव की शुरुआत.. राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम को बताया ‘मंत्र, ऊर्जा, स्वप्न और संकल्प’..
Vande Matram 150 Years Celebration: वंदे मातरम 1876 में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखी गई एक संस्कृत कविता है। इसे बाद में 1882 में प्रकाशित उनके उपन्यास आनंदमठ में शामिल किया गया और यह देश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय राष्ट्रवाद का प्रतीक बन गया ।
Vande Matram 150 Years Celebration || Image- PM Modi Youtube file
- वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे
- पीएम मोदी ने किया स्मरणोत्सव का शुभारंभ
- एक वर्ष तक चलेगा कार्यक्रम
Vande Matram 150 Years Celebration: नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को भारत के राष्ट्रीय गीत, वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के अवसर पर देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह गीत मातृभूमि के प्रति भक्ति और आराधना का प्रतीक है तथा यह आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति और गर्व की भावना से प्रेरित करता रहेगा।
वंदेमातरम एक ‘मंत्र, ऊर्जा, स्वप्न और संकल्प’ : पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “वंदे मातरम, ये शब्द एक मंत्र है, एक ऊर्जा है, एक स्वप्न है, एक संकल्प है। वंदे मातरम, ये शब्द मां भारती के प्रति समर्पण और आराधना है। वंदे मातरम, ये शब्द हमें इतिहास में ले जाते हैं, ये हमारे वर्तमान को नए आत्मविश्वास से भरते हैं, और ये हमारे भविष्य को ये नया साहस देते हैं कि ऐसा कोई संकल्प नहीं है जिसे प्राप्त न किया जा सके, ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है जिसे हम भारत के लोग प्राप्त न कर सकें। ऐसा कोई संकल्प नहीं, जिसकी सिद्धि ना हो सके। ऐसा कोई लक्ष्य नहीं, जो हम भारतवासी पा ना सकें।” प्रधानमंत्री मोदी ने वंदे मातरम के सामूहिक गायन को “अभिव्यक्ति से परे एक अनुभव” बताया और, यह राष्ट्र की एकता और भावना को दर्शाता है।
उन्होंने कहा, “वंदे मातरम का सामूहिक गायन अभिव्यक्ति से परे एक अनुभव है। इतने सारे स्वरों में, एक लय, एक स्वर, एक भावना, एक ही रोमांच और प्रवाह, ऐसी ऊर्जा, ऐसी लहर, ने हृदय को झकझोर दिया है। सामूहिक गान वंदे मातरम का यह शानदार अनुभव सचमुच अभिव्यक्ति से परे है। इतने सारे स्वरों में, एक लय, एक स्वर, एक भावना, एक प्रकार का रोमांच, एक प्रकार का प्रवाह, ऐसा सामंजस्य, ऐसी लहरें… इस ऊर्जा ने हृदय को स्पंदित कर दिया है।”
वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर दी बधाई
Vande Matram 150 Years Celebration: 7 नवंबर को “ऐतिहासिक दिन” बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम का 150वां वर्ष गौरव का क्षण है जो “करोड़ों भारतीयों को नई ऊर्जा से भर देगा।” पीएम मोदी ने कहा, “आज, 7 नवंबर, एक ऐतिहासिक दिन है। हम वंदे मातरम के निर्माण के 150 साल पूरे होने का भव्य उत्सव मना रहे हैं… यह आयोजन करोड़ों भारतीयों में नई ऊर्जा पैदा करेगा… वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर मैं हर नागरिक को बधाई देता हूं।”
उन्होंने कहा , “मैं आज देश की उन लाखों महान आत्माओं, भारत माता की संतानों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं , जिन्होंने अपना जीवन ‘वंदे मातरम’ के लिए समर्पित कर दिया, और अपने साथी देशवासियों को हार्दिक बधाई देता हूं।” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” के वर्ष भर चलने वाले स्मरणोत्सव का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एक पोर्टल भी लॉन्च किया।
एक साल तक चलेगा यह कार्य्रकम
समारोह में मुख्य कार्यक्रम के साथ-साथ सार्वजनिक स्थानों पर ‘वंदे मातरम’ के पूर्ण संस्करण का सामूहिक गायन किया गया। इसमें समाज के सभी वर्गों के नागरिकों ने भाग लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में ‘वंदे मातरम’ के पूर्ण संस्करण के सामूहिक गायन में भी भाग लिया।
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी उपस्थित थीं।
Vande Matram 150 Years Celebration: यह कार्यक्रम 7 नवंबर, 2025 से 7 नवंबर, 2026 तक एक वर्ष तक चलाया जाएगा जिसका पीएम मोदी ने औपचारिक शुभारंभ किया है। केंद्र सरकार के मुताबिक इस रचना के 150 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया जाएगा, जिसने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित किया और राष्ट्रीय गौरव और एकता को जागृत करना जारी रखा है।
क्या है ‘वंदे मातरम?’
वंदे मातरम 1876 में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखी गई एक संस्कृत कविता है। इसे बाद में 1882 में प्रकाशित उनके उपन्यास आनंदमठ में शामिल किया गया और यह देश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय राष्ट्रवाद का प्रतीक बन गया। यह कविता मातृभूमि के लिए एक भजन है, जिसमें भारत को देवी के रूप में दर्शाया गया है, और इसका अनुवाद अक्सर “मातृभूमि की जय” के रूप में किया जाता है। यह गीत कई भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है और इसे देश में देशभक्ति की सबसे प्रतिष्ठित अभिव्यक्तियों में से एक माना जाता है।
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