प्रज्वल रेवन्ना की मुकदमों को स्थानांतरित करने संबंधी याचिका खारिज

प्रज्वल रेवन्ना की मुकदमों को स्थानांतरित करने संबंधी याचिका खारिज

प्रज्वल रेवन्ना की मुकदमों को स्थानांतरित करने संबंधी याचिका खारिज
Modified Date: December 11, 2025 / 05:14 pm IST
Published Date: December 11, 2025 5:14 pm IST

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने जनता दल सेक्युलर (जदएस) के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना की बेंगलुरु की विशेष सांसद/विधायक अदालत में जारी दो आपराधिक मामलों की सुनवाई को शहर की किसी अन्य अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध करने वाली याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी।

रेवन्ना ने याचिका में पक्षपात को आधार बनाया था।

प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने रेवन्ना के वकील से कहा कि न्यायाधीश की टिप्पणियां पक्षपात का आधार नहीं हो सकतीं।

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इसके बाद पीठ ने रेवन्ना की याचिका खारिज कर दी।

पीठ ने कहा, “अदालत के पीठासीन न्यायाधीश की टिप्पणियां पक्षपात का आधार नहीं हो सकतीं। हमारे पास इस बात पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है कि न्यायाधीश इस तथ्य से प्रभावित नहीं होंगे कि याचिकाकर्ता को पहले मामले में दोषी पाया गया था और वे अपने निष्कर्ष मौजूदा मुकदमे में पेश किए गए सबूतों के आधार पर ही देंगे।”

रेवन्ना का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और सिद्धार्थ दवे ने कहा कि न्यायाधीश ने वकीलों के खिलाफ भी कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं, जिन्हें रिकॉर्ड से हटाना आवश्यक है।

न्यायमूर्ति बागची ने कहा कि वकील न्यायिक अधिकारियों को ब्लैकमेल नहीं कर सकते और उन पर किसी भी प्रकार के आरोप नहीं लगा सकते।

न्यायमूर्ति बागची ने कहा, “श्रीमान दवे, ये टिप्पणियां इसी विषय पर उच्च न्यायालय के आदेश से प्रेरित हैं। आप न्यायिक अधिकारियों को ब्लैकमेल नहीं कर सकते। वकील अन्य मामलों में भी पेश होते हैं और बार-बार वकालतनामा वापस लेते हैं।”

प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि रेवन्ना के वकील उच्च न्यायालय के समक्ष माफी मांग सकते हैं क्योंकि पीठासीन न्यायाधीश द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों के आधार पर पक्षपात का आरोप लगाना अत्यंत अनैतिक है।

पीठ ने कहा, “यह सरासर अनैतिक कृत्य है। उन्हें उच्च न्यायालय के समक्ष माफी मांगने दें, न्यायालय इस पर विचार करेगा।”

प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा, “हम यह संदेश नहीं देना चाहते कि मैं (रेवन्ना) उच्चतम न्यायालय गया और यह काम करवाया। हमें अपनी जिला न्यायपालिका के मनोबल का भी ध्यान रखना होगा।”

उन्होंने वरिष्ठ वकीलों से कहा कि अदालत में काल्पनिक स्थितियां होती हैं और न्यायाधीश की टिप्पणी के आधार पर उन पर आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “अदालत में काल्पनिक स्थितियां होती हैं। हम टिप्पणियां करते हैं। लेकिन मैं न्यायाधीशों या अदालतों पर दबाव डालने को हल्के में नहीं लूंगा… जैसे ही न्यायाधीश कोई टिप्पणी करते हैं, उन पर आरोप लगने लगते हैं।” पीठ ने हालांकि कहा कि न्यायाधीश व अदालतें भी गलतियां करती हैं, लेकिन उन्हें सुधारा जा रहा है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “कभी-कभी, इतनी बड़ी संख्या में मामलों से निपटने और सबूतों को देखने के कारण गलतियां हो जाती हैं।”

भाषा जितेंद्र नरेश

नरेश


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