दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया जाना गौरव की बात : राधाकृष्णन
दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया जाना गौरव की बात : राधाकृष्णन
नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) राज्यसभा के सभापति सी पी राधाकृष्णन ने बृहस्पतिवार को दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किए जाने पर खुशी जताते हुए इसे भारत के लिए गौरव की बात बताया।
उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति ने भारत के प्रमुख उत्सव दीपावली को बुधवार, 10 दिसम्बर 2025 को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किए जाने का जिक्र किया।
सभापति ने कहा ‘‘दीपावली केवल एक पर्व नहीं है, बल्कि यह एक सभ्यतागत संदेश है। यह अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, निराशा पर आशा और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है। इसका सार्वभौमिक दर्शन सभी धर्मों, क्षेत्रों और पीढ़ियों से परे भारत की समावेशी, प्रकाशमान और लचीली आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है।’’
उन्होंने बताया कि यह मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल होने वाली भारत की 16वीं सांस्कृतिक परंपरा है और इससे वैश्विक स्तर पर भारत की सभ्यतागत विरासत की चमक और बढ़ गई है।
भारत की 15 सांस्कृतिक परंपराएं वर्तमान में यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल हैं, जिनमें कुंभ मेला, कोलकाता की दुर्गा पूजा, गुजरात का गरबा नृत्य, योग, वैदिक मंत्रोच्चार की परंपरा और रामलीला – महाकाव्य ‘रामायण’ का पारंपरिक प्रदर्शन शामिल हैं।
सभापति ने अपनी और सदन की ओर से सभी भारतीयों, सांस्कृतिक दूतों और उन सभी व्यक्तियों एवं संस्थानों को हार्दिक बधाई दी, जिन्होंने इस वैश्विक मान्यता को हासिल करने में योगदान दिया।
उन्होंने उम्मीद जताई कि ‘‘यह उपलब्धि हमें हमारी समृद्ध विरासत और परंपराओं को संरक्षित, संवर्धित कर गर्व के साथ मनाने के लिए नयी प्रतिबद्धता और श्रद्धा के साथ प्रेरित करेगी।’’
भाषा मनीषा वैभव
वैभव

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