अभियोजन पक्ष दिलीप के खिलाफ साजिश साबित करने में ‘बुरी तरह’ विफल रहा: अदालत
अभियोजन पक्ष दिलीप के खिलाफ साजिश साबित करने में 'बुरी तरह' विफल रहा: अदालत
कोच्चि (केरल), 13 दिसंबर (भाषा) कोच्चि की एक स्थानीय अदालत ने मलयालम अभिनेता दिलीप के खिलाफ पर्याप्त सबूतों की कमी का हवाला देते हुए कहा है कि अभियोजन पक्ष अभिनेत्री के यौन उत्पीड़न के 2017 के मामले में दिलीप के खिलाफ साजिश के आरोप को साबित करने में ‘बुरी तरह’ विफल रहा है।
एर्नाकुलम जिला एवं प्रधान सत्र अदालत की न्यायाधीश हनी एम वर्गीस का पूरा फैसला शुक्रवार देर रात जारी किया गया, जिससे पता चलता है कि न्यायाधीश ने अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत किए गए निराधार तर्कों की ओर भी इशारा किया है।
अदालत ने कहा, ‘अभियोजन पक्ष पीड़िता के खिलाफ अपराध को अंजाम देने में आरोपी संख्या एक (पल्सर सुनी) और आरोपी संख्या आठ (दिलीप) के बीच साजिश साबित करने में बुरी तरह विफल रहा।’
इसमें अभियोजन पक्ष के इस आरोप की विस्तार से समीक्षा की गई कि दिलीप ने पीड़िता का यौन उत्पीड़न करने और उसकी पहचान स्थापित करने के लिए, अभिनेत्री द्वारा पहनी सोने की अंगूठी के क्लोज-अप फुटेज सहित दृश्य रिकॉर्ड करने के लिए मुख्य आरोपी को काम पर रखा था।
फैसले के पृष्ठ 1,130 पर पैराग्राफ 703 में अदालत ने इस मुद्दे पर कहा कि अभियोजन पक्ष का यह तर्क क्या टिकाऊ है कि एनएस सुनील (पल्सर सुनी) ने घटना के समय पीड़िता द्वारा पहनी गई सोने की अंगूठी के दृश्य रिकॉर्ड किए थे ताकि उसकी पहचान स्पष्ट रूप से उजागर हो सके।
अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि दिलीप और सुनी ने रिकॉर्डिंग की योजना इस तरह बनाई थी कि अभिनेत्री की पहचान स्पष्ट हो जाए और सोने की अंगूठी के वीडियो का उद्देश्य दिलीप को यह विश्वास दिलाना था कि दृश्य वास्तविक थे।
हालांकि, अदालत ने गौर किया कि यह तर्क पहले आरोपपत्र में नहीं बताया गया था और इसे दूसरे आरोपपत्र में शामिल किया गया था।
इस दावे के तहत, पीड़िता द्वारा सोने की अंगूठी पुलिस के सामने पेश किए जाने के बाद उसे जब्त कर लिया गया था।
अदालत ने पाया कि घटना के बाद 18 फरवरी, 2017 से पीड़िता के कई बयान दर्ज किए गए थे और उसने दिलीप के खिलाफ पहली बार तीन जून, 2017 को आरोप लगाए थे।
अदालत ने कहा कि उस दिन भी गिरोह द्वारा अंगूठी का वीडियो बनाए जाने का कोई उल्लेख नहीं किया गया था।
अभियोजन पक्ष यह समझाने में विफल रहा कि पीड़िता ने शुरू में ही इस तथ्य का खुलासा क्यों नहीं किया।
इसमें यह भी कहा गया कि हालांकि पीड़िता ने यौन उत्पीड़न के दृश्यों को दो बार देखा था, लेकिन उन्होंने उन अवसरों पर सोने की अंगूठी की किसी विशिष्ट रिकॉर्डिंग का उल्लेख नहीं किया।
अदालत ने गवाहों के बयानों की भी समीक्षा की।
एक गवाह ने मजिस्ट्रेट को बताया कि दिलीप ने पल्सर सुनी को पीड़िता की शादी की अंगूठी रिकॉर्ड करने का निर्देश दिया था।
अदालत ने पाया कि उस समय पीड़िता के पास शादी की ऐसी कोई अंगूठी नहीं थी।
अदालत ने कहा कि मुकदमे की सुनवाई के दौरान गवाह ने अपना बयान बदल दिया।
न्यायाधीश ने गौर किया कि दूसरे गवाह ने तो यहां तक दावा किया कि दिलीप ने अपराध को अंजाम देने का निर्देश दिया था और पीड़िता की सगाई टूट चुकी थी।
इससे यह स्पष्ट होता है कि अंगूठी का वीडियो बनाने के संबंध में दूसरे गवाह का बयान झूठा था, क्योंकि उसकी सगाई अपराध के बाद हुई थी।
अदालत ने कहा कि दृश्यों से ही पीड़िता की पहचान स्पष्ट रूप से पता चल गई थी और पहचान स्थापित करने के लिए अंगूठी की तस्वीरें लेने की कोई आवश्यकता नहीं थी।
पैराग्राफ 887 में, अदालत ने अपराध के कथित मकसद की जांच की और पाया कि पहले आरोपपत्र में अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि आरोपी एक से छह ने पीड़िता का अपहरण अश्लील तस्वीरें लेने और उन्हें प्रसारित करने की धमकी देकर पैसे वसूलने के सामान्य इरादे से किया था और इसमें दिलीप की भूमिका का कोई उल्लेख नहीं था।
अदालत ने अभियोजन पक्ष के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि आरोपी 2013 से दिलीप के निर्देशों पर हमले की साजिश रच रहा था और यह आरोप विश्वसनीय सबूतों से समर्थित नहीं था।
अदालत इस दावे को भी खारिज कर दिया कि सुनी ने जनवरी 2017 में गोवा में पीड़िता के साथ यौन उत्पीड़न का प्रयास किया था।
अदालत ने दिलीप की गिरफ्तारी के बाद उत्पन्न हुए विभिन्न विवादों और अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों पर भी चर्चा की और अंततः पाया कि मामला साबित नहीं हुआ।
इस सनसनीखेज मामले पर आठ दिसंबर को फैसला सुनाते हुए अदालत ने दिलीप और तीन अन्य को बरी कर दिया।
बाद में, अदालत ने मुख्य दोषी सुनी समेत छह अन्य को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी।
भाषा नोमान सिम्मी
सिम्मी

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