पंजाब विधानसभा ने ‘जी राम जी’ अधिनियम के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया
पंजाब विधानसभा ने ‘जी राम जी’ अधिनियम के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया
चंडीगढ़, 30 दिसंबर (भाषा) पंजाब विधानसभा ने मंगलवार को ‘वीबी-जी राम जी’ अधिनियम के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर ‘‘जानबूझकर साजिश’’ के तहत मनरेगा को खत्म करके गरीब और दलित मजदूरों की आजीविका ‘‘छीनने’’ का आरोप लगाया गया।
सदन ने सिफारिश की कि पंजाब सरकार केंद्र से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को उसके मूल अधिकार-आधारित स्वरूप में तत्काल बहाल करने का अनुरोध करे।
सदन ने इस बात पर भी ध्यान दिया कि शिरोमणि अकाली दल (बादल) (शिअद) ने 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के साथ गठबंधन को फिर से स्थापित करने की उम्मीद में पूरे मुद्दे पर ‘‘चुप्पी’’ साध रखी है।
आम आदमी पार्टी की सरकार ने विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन गारंटी (ग्रामीण), या ‘वीबी-जी राम जी’ अधिनियम का विरोध करने के लिए विधानसभा का एक दिन का सत्र बुलाया था।
हालांकि, जब प्रस्ताव पारित किया गया तब भाजपा के दोनों विधायक सदन में उपस्थित नहीं थे।
सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं ने केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा के स्थान पर वीबी-जी-राम जी अधिनियम लाए जाने के कदम को ‘‘गरीब विरोधी’’ करार दिया।
आप नेताओं ने इसे ‘‘संघीय ढांचे पर हमला’’ भी बताया।
सत्र के दौरान ग्रामीण विकास और पंचायत मंत्री तरुणप्रीत सिंह सोंद ने सदन में चर्चा के लिए प्रस्ताव पेश किया।
सोंद ने कहा कि विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन गारंटी (ग्रामीण), या ‘वीबी-जी राम जी’ अधिनियम गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों, अनुसूचित जाति समुदायों और ग्रामीण मजदूरों को बुरी तरह प्रभावित करेगा, जो महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनेरगा) पर अपनी आजीविका के लिए निर्भर हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मनरेगा को ‘‘खत्म’’ करना चाहती है जिसे बहाल किया जाना चाहिए।
प्रस्ताव में सिफारिश की गई कि राज्य सरकार मनरेगा की मांग-आधारित, अधिकार-आधारित और पूर्णतः केंद्र प्रायोजित संरचना को बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार से इस मामले पर बात करे।
भाषा
नेत्रपाल संतोष
संतोष

Facebook



