Rectal Cancer Medicine : नई दिल्ली। आज भी कैंसर दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। इससे छुटकारा पाना किसी चमत्कार से कम नहीं। ऐसा ही एक चमत्कार मेडिकल साइंस ने कर दिखाया है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने एक ऐसी दवा का ट्रायल किया है जिससे हर मरीज को कैंसर से पूरी तरह से छुटकारा मिल जाएगा। ट्रायल के दौरान पाया गया कि रेक्टल कैंसर (मलाशय का कैंसर) के इलाज के लिए एक दवा की शुरूआती ट्रायल में शामिल किये गए 18 मरीजों को बीमारी से पूरी छुटकारा मिल गया।
बता दें ये स्टडी न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपी है। स्टडी के लेखक और न्यूयॉर्क के मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर के डॉक्टर लुइस ए डियाज ने कहा कि आज तक ऐसी कोई भी स्टडी नहीं आई है जिसमें ये दावा किया जा सके कि इलाज से किसी भी मरीज का कैंसर पूरी तरह से खत्म हो गया हो।
एक रिपोर्ट के अनुसार 18 मरीजों पर की गई ये स्टडी बहुत छोटी थी। स्टडी में शामिल सभी मरीजों ने एक ही दवा ली थी। ट्रायल के बाद आने वाले नतीजो ने सभी को हैरान कर दिया। बताया गया कि ट्रायल में शामिल हर एक मरीज के शरीर से कैंसर पूरी तरह गायब हो चुका था। इसमें खास बात ये है कि किसी भी मरीज के शारीरिक परीक्षण, एंडोस्कोपी, पीईटी स्कैन या एम.आर.आई. स्कैन में ये दिखाई नहीं दिया। नतीजों के बाद डॉक्टर डियाज ने कहा, ‘मेरे हिसाब से कैंसर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है।’
आमतौर पर रेक्टल कैंसर के मरीजों को कीमोथेरेपी, रेडिएशन और कई तरह की सर्जरी से गुजरना पड़ता है, जो की बहुत पीड़ादायक होता है। इसके साथ ही इन थैरेपीज की वजह से उन्हें कई आंत, मूत्र और यौन रोग हो जाते हैं। इतना ही नहीं कुछ को तो कोलोस्टॉमी बैग लगवाने की भी जरूरत पड़ती है। स्टडी में शामिल इस सारे मरीजों को ये उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि वो पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे। उन्हें हैरानी हुई कि अब उन्हें किसी और ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं है।
स्टडी पूरी होने के बाद जब मरीजों को इसकी जानकारी हुई की अब उन्हें किसी तरह के ट्रीटमेंट की जरुरत नहीं। वो पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। ये खबर सुनते ही मानों सभी को नया जीवन मिल गया हो। मरीजों की आंखों में खुशी के आंसू थे। स्टडी में शामिल एक मरीज ने स्थानीय न्यूज़ एजेंसी को बताया कि ‘मुझे यकीन नहीं हो रहा। मैंने इसकी उम्मीद नहीं की थी!’
बताया गया है कि ट्रायल में शामिल सभी मरीजों को Dostarlimab नाम की दवा दी गई थी। मरीजों को छह महीने के लिए हर तीन सप्ताह में ये दवाई दी गई। स्टडी में पाया गया कि ये दवा कैंसर कोशिकाओं की उजागर करती है, इम्यून सिस्टम को उन्हें पहचानने और नष्ट करने में मदद करती है। इसमें सबसे अच्छी बात यह रही कि मरीजों पर इस दवा के कुछ खास साइड इफेक्ट नहीं देखे गए। वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘ये स्टडी छोटी लेकिन काफी प्रभावी है।’ हालांकि, उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि मरीज पूरी तरह ठीक हो गए हैं या नहीं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसी स्टडी फिर से करने की जरूरत है।
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