बंद आहूत करने वाले राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द हो सकता है: हिमंत

बंद आहूत करने वाले राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द हो सकता है: हिमंत

बंद आहूत करने वाले राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द हो सकता है: हिमंत
Modified Date: March 10, 2024 / 09:57 pm IST
Published Date: March 10, 2024 9:57 pm IST

गुवाहाटी, 10 मार्च (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने रविवार को कहा कि यदि राजनीतिक दल अदालत के आदेशों का उल्लंघन करके बंद आहूत करते हैं तो उनका पंजीकरण रद्द हो सकता है।

शर्मा ने कहा कि 2019 के संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) के किसी भी विरोध को उच्चतम न्यायालय में ले जाया जाना चाहिए और सड़कों पर विरोध करने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा क्योंकि कानून पहले ही बन चुका है।

शर्मा ने एक कार्यक्रम के इतर कहा, ‘हर किसी को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन अगर कोई राजनीतिक दल अदालत के आदेश की अवहेलना करता है, तो उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।’

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उन्होंने कहा कि हालांकि छात्र संगठनों के लिए बंद का आह्वान करना स्वीकार्य है, लेकिन गुवाहाटी उच्च न्यायालय के बंद पर रोक लगाने के आदेश के कारण राजनीतिक दल राज्य में ऐसा नहीं कर सकते।

उन्होंने सीएए लागू होने पर विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा तीव्र आंदोलन की घोषणा का जिक्र करते हुए कहा, ‘अगर कोई राजनीतिक दल उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करता है, तो हम इसे लेकर निर्वाचन आयोग के पास जाएंगे।’

मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएए का विरोध करने वालों को अपनी बात उच्चतम न्यायालय के समक्ष रखनी चाहिए क्योंकि वही एकमात्र प्राधिकारी है जो अब इस कानून को रद्द कर सकता है।

शर्मा ने कहा, ‘‘यदि अधिक तीव्र आंदोलन करना था तो यह कानून पारित होने से पहले किया जाना चाहिए था। अब यह केवल नियमों को अधिसूचित करने का मामला है, जिसे करने के लिए सरकार बाध्य है। अब अगर कुछ आंदोलन होता भी है तो यह मेरी गारंटी है कि कोई नया व्यक्ति इसमें शामिल नहीं होगा।’’

विपक्षी राजनीतिक दलों, छात्रों और अन्य संगठनों ने सीएए के खिलाफ तीव्र विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। यह कानून बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले हिंदुओं, जैनों, ईसाइयों, सिखों, बौद्धों और पारसियों को यहां पांच वर्ष निवास करने के बाद भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है।

सोलह समूहों वाले ‘यूनाइटेड अपोजिशन फोरम, असम’ (यूओएफए) के सदस्यों ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दो दिवसीय असम दौरे के दौरान विरोध प्रदर्शन किया था।

मंच ने कहा था कि अधिनियम लागू होने के अगले ही दिन राज्यव्यापी बंद आहूत किया जाएगा, जिसके बाद जनता भवन (सचिवालय) का ‘घेराव’ किया जाएगा।

राज्यसभा द्वारा ग्यारह दिसंबर, 2019 को सीएए पारित करने के बाद राज्य में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसमें आंदोलनकारियों की सुरक्षा बलों के साथ तीखी झड़प हुई थी, जिससे प्रशासन को कई कस्बों और शहरों में कर्फ्यू लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले कहा था कि सीएए नियमों को लोकसभा चुनाव से पहले अधिसूचित और लागू किया जाएगा।

भाषा अमित रंजन

रंजन


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