हिंद-प्रशांत अवधारणा को अस्वीकार करना वैश्वीकरण को खारिज करने के समान है: जयशंकर

हिंद-प्रशांत अवधारणा को अस्वीकार करना वैश्वीकरण को खारिज करने के समान है: जयशंकर

हिंद-प्रशांत अवधारणा को अस्वीकार करना वैश्वीकरण को खारिज करने के समान है: जयशंकर
Modified Date: November 29, 2022 / 08:45 pm IST
Published Date: December 17, 2020 7:25 pm IST

नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि हिंद-प्रशांत अवधारणा आने वाले कल की कोई संभावना नहीं, बल्कि बीते हुए कल की वास्तविकता थी और इसे अस्वीकार करना वैश्वीकरण को खारिज करने के समान है।

जयशंकर ने सीआईआई भागीदारी शिखर सम्मेलन 2020 को संबोधित करते हुए कहा कि हिंद-प्रशांत अवधारणा पर हाल के दिनों में हुए राजनयिक संवादों में काफी अधिक चर्चा हुई है।

उन्होंने रेखांकित किया कि वह पहले भी कह चुके हैं कि हिंद-प्रशांत अवधारणा आने वाले कल की कोई संभावना नहीं, बल्कि बीते हुए कल की वास्तविकता थी।

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विदेश मंत्री ने कहा कि इस अवधारणा को अस्वीकार करना वैश्वीकरण को खारिज करने के समान है।

जयशंकर ने कहा, ‘वास्तव में, यह हिंद और प्रशांत महासागरों के संगम को दर्शाता है जिसे अब अलग-अलग क्षेत्रों के रूप में नहीं देखा जा सकता है।’

भाषा कृष्ण नेत्रपाल

नेत्रपाल


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