महात्मा गांधी का नाम हटाना देश की विभूतियों, मनरेगा योजना का अपमान : तृणमूल कांग्रेस सांसद
महात्मा गांधी का नाम हटाना देश की विभूतियों, मनरेगा योजना का अपमान : तृणमूल कांग्रेस सांसद
नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) तृणमूल कांग्रेस सांसद जून मालिया ने बुधवार को भाजपा पर प्रहार करते हुए कहा कि मौजूदा अधिनियम से महात्मा गांधी का नाम हटाकर न केवल देश की विभूतियों का, बल्कि मनरेगा योजना का भी अपमान किया गया है।
लोकसभा में ‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक, 2025’ पर चर्चा में भाग लेते हुए मालिया ने कहा कि यह गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ही थे, जिन्होंने मोहनदास करमचंद गांधी को सबसे पहले ‘महात्मा’ कहा था।
उन्होंने कहा कि विधेयक में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) का नाम बदलना महात्मा गांधी और गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर का अपमान है।
तृणमूल सांसद ने कहा, ‘‘आपने विधेयक से (महात्मा) गांधी का नाम हटाकर उनका अपमान किया है।’’ उन्होंने कहा, हालांकि उन्हें जरा भी आश्चर्य नहीं है, क्योंकि ये वही लोग हैं जो राष्ट्रपिता को गोलियों से छलनी करने वाले की पूजा करते हैं।
उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘आपको महान भारतीयों का अपमान करने की आदत है। आपने गुरुदेव का यह कह कर अपमान किया कि उनका जन्म शांति निकेतन में हुआ, आपने पंडित ईश्वरचंद्र विद्यासागर की प्रतिमा नष्ट कर उनका अपमान किया, आपने हाल में राजाराम मोहन रॉय का अपमान किया, आपने साहित्य सम्राट बंकिम चंद्र चटोपाध्याय का अपमान किया…।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आपने न केवल देश की महान विभूतियों का, बल्कि इस योजना (मनरेगा) का भी अपमान किया है।’’
उन्होंने उल्लेख किया कि 2015 में इस सदन में मनरेगा को ‘‘गड्ढे खोदने की स्कीम’’ कहा गया था।
तृणमूल सांसद ने कहा, ‘‘मैं सत्तापक्ष को याद दिलाना चाहती हूं, हालांकि मैं आश्वस्त हूं कि वे इसे स्मरण नहीं करना चाहेंगे। लेकिन मैं याद दिलाना चाहूंगी कि यह कोई और नहीं, बल्कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं उद्धृत करती हूं कि उन्होंने इसे ‘गड्ढे खोदने की स्कीम’ कहा था।’’
उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया, ‘‘आप गरीब से नफरत करते हैं, हाशिये पर मौजूद लोगों से नफरत करते हैं, कमजोर लोगों से नफरत करते हैं, आप बंगाल से नफरत करते हैं। यह आपकी राजनीति का वास्तविक ब्रांड है।’’
तृणमूल सांसद ने कहा, ‘‘जब आप हमें पिछले छह चुनावों में राजनीतिक रूप से नहीं हरा सकें तो आपने (बंगाल को मनरेगा) निधि से वंचित कर दिया’’ जो असल में हमारे राज्य का हक है।
उन्होंने दावा किया कि मार्च 2022 से केंद्र ने बंगाल को मनरेगा की निधि जारी नहीं की, जिससे बंगाल में 59 लाख पंजीकृत मनरेगा श्रमिक तीन साल से पारिश्रमिक भुगतान से वंचित हैं।
उन्होंने विधेयक को व्यापक विचार-विमर्श के लिए संसदीय समिति के पास भेजने का आग्रह किया।
चर्चा में भाग लेते हुए समाजवादी पार्टी के सनातन पाण्डेय ने कहा कि सरकार ने मनरेगा का नाम बदला है, लेकिन नाम बदलने से देश के गरीब मजदूरों का कल्याण नहीं होने वाला।
उन्होंने कहा, ‘‘आज मैं देख रहा हूं कि सत्ता में बैठे लोग महात्मा गांधी से कितनी नफरत करते हैं। मुझे यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि महात्मा गांधी से नफरत करने वाले लोग चाहें सत्तापक्ष में बैठे हों या विपक्ष में बैठें हों, महात्मा गांधी के विरोधी हैं।’’
कांग्रेस सदस्य के. सुरेश ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि मनरेगा मजदूरों को ईएसआईसी (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) के तहत लाने की जरूरत है, जिसकी कांग्रेस लंबे समय से मांग कर रही है।
उन्होंने इन श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा मुहैया करने की मांग की और उन्हें भविष्य निधि योजना के दायरे में लाने तथा उनके लिए पेंशन की व्यवस्था करने का भी आग्रह किया।
कांग्रेस सांसद ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘आप मनरेगा का विनाश कर रहे हैं, जबकि आपको इसका सुदृढ़ीकरण करना चाहिए था।’’
भाजपा के गणेश सिंह ने कहा कि विधेयक में स्वयं सहायता समूहों की आय बढ़ाने का प्रावधान किया गया है और फसल उपज के भंडारण व विपणन का प्रावधान होने पर किसानों को इसका सीधा लाभ मिलेगा।
भाजपा के दिलीप सैकिया ने कहा कि विधेयक से पूरे ग्रामीण भारत और देश के सात लाख से अधिक गांवों में रहने वालों को फायदा होगा।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अभय कुमार सिन्हा ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह विधेयक ग्रामीण भारत की रोजगार सुरक्षा पर सीधा हमला है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने इस विधेयक के जरिये रोजगार गारंटी को कमजोर किया है और उसे भगवान राम के नाम से ढंकने का प्रयास किया है।
वाईएसआरसीपी सदस्य वाई एस अविनाश रेडडी ने कहा यह विधेयक करोड़ों ग्रामीण लोंगों में असुरक्षा और भ्रम पैदा करता है। उन्होंने विधेयक को संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) या प्रवर समिति को भेजने की मांग की।
माकपा के अमरा राम ने कहा कि मनरेगा के जरिये गांवों के गरीबों को जो हक मिला था उसे छीना जा रहा है। उन्होंने विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की।
जनता दल (यूनाइटेड) के दिलेश्वर कामत ने कहा कि इस विधेयक में 125 दिनों के रोजगार का प्रावधान किया गया है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) सांसद लावु श्रीकृष्ण देवरायलू ने पूर्व के अधिनियम में विधेयक के जरिये किये गए बदलावों की सराहना की और कहा कि इससे ग्रामीण भारत में लोगों को रोजगार मिलेगा।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के नीलेश लंके ने विधेयक से महात्मा गांधी का नाम हटाये जाने पर आपत्ति जताई।
भाषा सुभाष सुरेश
सुरेश

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