इंदिरा से लेकर सोनिया गाँधी की भी ख़त्म हो गई थी सदस्यता, जानें अबतक कितने नेता आ चुके हैं इस कानून के चपेट में?

हालांकि सभी पर आपराधिक मामले थे ऐसा नहीं था. सोनिया गांधी को उसके 'लाभ के पद' की वजह से इस्तीफ़ा देना पड़ा था. उन्हें फिर से चुनाव लड़ना पड़ा था.

इंदिरा से लेकर सोनिया गाँधी की भी ख़त्म हो गई थी सदस्यता, जानें अबतक कितने नेता आ चुके हैं इस कानून के चपेट में?

Representation of the Peoples Act

Modified Date: March 24, 2023 / 08:05 pm IST
Published Date: March 24, 2023 8:05 pm IST

Representation of the Peoples Act: मानहानि के एक मामले में दो दिन पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई गई थी। हालांकि उन्हें फ़ौरन इस पर जमानत भी मिल गई थी, लेकिन इस सजा के तय होने के साथ यह भी तय हो गया था की अब राहुल गांधी की संसद की सदस्यता ख़त्म हो जाएगी यानी उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा, और हुआ भी कुछ ऐसा ही। उनकी लोकसभा की सदस्यता ख़त्म करते हुए उनके चुनाव लड़ने पर भी 6 साल के लिए प्रतिबन्ध भी लगा दिया गया हैं।

दरअसल रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951’ की धारा 8 (3) के तहत अगर किसी सांसद या विधायक को किसी अपराध में दोषी ठहराया जाता है और उसे 2 साल या इससे ज्यादा की सजा सुनाई जाती है, तो उसकी संसद या विधानसभा सदस्यता खत्म हो जाएगी। वह रिहाई के 6 साल बाद तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएगा।

सांसदी ख़त्म होने पर राहुल गाँधी की पहली प्रतिक्रिया, लिखा भारत की आवाज़ के लिए हर कीमत चुकाने को तैयार

 ⁠

Representation of the Peoples Act: ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट’ की धारा 8 (4) कहती है कि दोषी सांसद या विधायक की सदस्यता तुरंत खत्म नहीं होती। उसके पास तीन महीने का समय होता है। इस दौरान अगर वह हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर देता है तो उस अपील की सुनवाई पूरी होने तक सदस्यता नहीं जाती। अगर वह अपील नहीं करता है तो तीन महीने बाद उसकी सदस्यता समाप्त कर दी जाती है।

न्यायालयों द्वारा जनप्रतिनिधियों को दोषी ठहराए जानें की कहानी भारत में बहुत पुरानी हैं। केंद्र से लेकर राज्य स्तर तक के कई नेता इस तरह कानून की चपेट में आकर अपनी सदस्यता गँवा चुके हैं। ऐसे नेताओं पर आरोप भी लगे, उनपर मुकदमे भी हुए और उन्हें इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी।

‘राहुल गाँधी माफ़ी मांग लेते तो नहीं होता ऐसा, BJP नहीं यह कोर्ट का फैसला” ” पूर्व CM डॉ रमन सिंह

Representation of the Peoples Act: आजादी के बाद अस्थाई संसद के सदस्य कांग्रेस नेता एचजी मुद्गल पर 1951 में संसद में सवाल पूछने के लिए पैसे लेने का आरोप लगा था। उस वक्त प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने मामले की जांच के लिए संसद में एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव पारित कराया। इस मामले में उनकी सदस्यता रद्द हो गई थी। इसी तरह सन 1976 में संसद को बदनाम करने के आरोप में सुब्रमण्यम स्वामी की सदस्यता खत्म की गई थी।

साल 1978 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना का आरोप लगाया गया था। उन पर काम में बाधा डालने, कुछ अधिकारियों को धमकाने, शोषण करने और झूठे मुकदमे में फंसाने का आरोप था। इसके बाद संसद में साधारण प्रस्ताव के जरिए 20 दिसंबर 1978 को उनकी संसद सदस्यता खत्म कर दी गई थी। साथ ही सत्र चलने तक जेल भेजने का आदेश दिया गया था। हालांकि एक महीने बाद लोकसभा ने उनका निष्कासन वापस ले लिया था।

बात 2005 की हैं जब सवाल पूछने के लिए पैसे लेने के आरोप में 11 सांसदों की सदस्यता खत्म कर दी गई थी। इस पूरे मामले का खुलासा एक स्टिंग ऑपरेशन के जरिये हुआ था। देश भर में इस मामले ने खूब सुर्खियां बटोरी थी। इसी तरह सोनिया गाँधी, राजद प्रमुख लालू यादव, कांग्रेस सांसद रसीद मसूद, यूपी के उन्नाव की बांगरमऊ से विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर ने भी इसी तरह की प्रक्रिया के बाद अपनी सदस्यता खो दी थी। हालांकि सभी पर आपराधिक मामले थे ऐसा नहीं था। सोनिया गांधी को उसके ‘लाभ के पद’ की वजह से इस्तीफ़ा देना पड़ा था. उन्हें फिर से चुनाव लड़ना पड़ा था।

देश दुनिया की बड़ी खबरों के लिए यहां करें क्लिक


लेखक के बारे में

A journey of 10 years of extraordinary journalism.. a struggling experience, opportunity to work with big names like Dainik Bhaskar and Navbharat, priority given to public concerns, currently with IBC24 Raipur for three years, future journey unknown