एनआईटी आंध्र प्रदेश के शोधकर्ताओं ने नैनो कण आधारित खाद्य पैकेजिंग सामग्री विकसित की

एनआईटी आंध्र प्रदेश के शोधकर्ताओं ने नैनो कण आधारित खाद्य पैकेजिंग सामग्री विकसित की

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  • Publish Date - December 7, 2021 / 05:47 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:57 PM IST

नयी दिल्ली, सात दिसंबर (भाषा) आंध्र प्रदेश के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान(एनआईटी) के शोधकर्ताओं ने दिखाया है कि कैसे नैनो तकनीक का उपयोग खाद्य पैकेजिंग सामग्री विकसित करने के लिए किया जा सकता है जो इसकी टिकाऊ क्षमता को बढ़ाते हैं। गुणवत्ता बनाए रखने के साथ पैक किए गए खाद्य पदार्थों के स्वाद और रंग को बनाए रखने में भी इसके जरिए मदद मिलती है।

मिजोरम विश्वविद्यालय के सहयोग से शोधकर्ताओं द्वारा निकाले गए निष्कर्षों को समीक्षा शोध पत्रिका ‘यूरोपियन फुड रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी’ में प्रकाशित किया गया है।

एनआईटी, आंध्र प्रदेश में जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सहायक प्रोफेसर तिंगिरिकारी जगन मोहन राव ने बताया, ‘‘यह अध्ययन डब्बा बंद सामग्री को यांत्रिक स्थिरता प्रदान करने के लिए नैनो कण की भूमिका पर जोर देता है और दिखाता है कि रोग जनक, प्रदूषणकारी, कीटनाशकों और एलर्जी का पता लगाने के लिए नैनो-सेंसर कैसे विकसित किए जा सकते हैं। ये तकनीक खाद्य पदार्थ को खराब होने एवं दूषित होने से रोकने के लिए पैकिंग सामग्री के रोगाणुरोधी गुणों को भी बढ़ाती है।’’

नैनो कण के प्रभावों के बारे में मिजोरम विश्वविद्यालय के पछुंगा यूनिवर्सिटी कॉलेज के पुनुरी जयशेखर बाबू ने कहा, ‘‘यह ध्यान देने योग्य है कि पैकिंग सामग्री के लिए उपयोग किए जाने वाले नैनो कण पैकेजिंग सामग्री के संपर्क में आने पर भोजन में स्थानांतरित हो सकते हैं। इसलिए, अकार्बनिक नैनो कण के प्रभाव का अध्ययन किया जाना चाहिए। साथ ही, नैनो सामग्री विशेष रूप से नैनो पैकेजिंग को खाद्य प्रणालियों में लागू करने से पहले कठोर परीक्षण के बाद ही अनुमति दी जानी चाहिए।’’

अध्ययन में सुरक्षा मुद्दों से निपटने के लिए नैनो सामग्री के इस्तेमाल पर कानून और नियम लाने की जरूरत के साथ विभिन्न सरकारी एजेंसियों की भूमिका पर भी चर्चा की गई है। यह भी जिक्र किया गया है कि कैसे अधिक कुशल और प्रभावी पैकिंग सामग्री बनाने के लिए जैव-आधारित पॉलिमर को नैनो कण के साथ मिश्रित किया जा सकता है।

भाषा आशीष नरेश

नरेश