Mallikarjun Kharge On RSS : ‘RSS के लोगों ने न संविधान को स्वीकार किया और न तिरंगे झंडे को’, लोकसभा में कांग्रेस अध्यक्ष खरगे का बड़ा बयान
Mallikarjun Kharge On RSS : कांग्रेस के राष्ट्रिय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आज सदन को संबोधन किया। कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने RSS पर निशाना
Mallikarjun Kharge On RSS / Image Credit : संसद टीवी
नई दिल्ली : Mallikarjun Kharge On RSS : कांग्रेस के राष्ट्रिय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आज सदन को संबोधन किया। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने भाजपा और RSS पर जमकर निशाना साधा। मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि, पूरा देश जानता है कि 1949 में RSS के नेताओं ने संविधान का विरोध किया था, क्योंकि ये मनुस्मृति पर आधारित संविधान नहीं था। RSS के लोगों ने न संविधान को स्वीकार किया और न तिरंगे झंडे को माना।इसलिए पहली बार 26 जनवरी, 2002 को कोर्ट के आदेश के बाद RSS को अपने मुख्यालय पर मजबूरी में तिरंगा फहराना पड़ा।
हमारा संविधान देश के हर व्यक्ति को शक्तिशाली बनाता है : खरगे
Mallikarjun Kharge On RSS : कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने आगे कहा कि, हमारा संविधान देश के हर व्यक्ति को शक्तिशाली बनाता है। यह गरीबों की आवाज है, इसमें जाति-धर्म-पंथ के आधार पर भेदभाव करने की कोई गुंजाइश नहीं है, लेकिन आज संविधान पर खतरा बना हुआ है। आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे सहेजकर रखना एक बड़ी जिम्मेदारी है, जिसके लिए हमें चौकन्ना रहना पड़ेगा, क्योंकि मोदी सरकार की मंशा कब बदल जाए, यह हम नहीं जानते।
RSS ने किया यूनिवर्सल एडल्ट फ्रेंचाइज विरोध : खरगे
Mallikarjun Kharge On RSS : कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने अपने संबोधन में आगे कहा कि, जब बहुत सारे शक्तिशाली देशों में यूनिवर्सल एडल्ट फ्रेंचाइज नहीं था, महिलाओं को वोट का अधिकार नहीं था, तब भारत में महिलाओं के साथ ही सभी को वोट का अधिकार दिया गया। यह अधिकार महिलाओं को संविधान और कांग्रेस ने दिया। यह हमारा देश है, जहां हमने आजादी के बाद एडल्ट फ्रेंचाइज लागू कर सभी को वोटिंग का अधिकार दिया। यूनिवर्सल एडल्ट फ्रेंचाइज का अगर किसी ने विरोध किया तो वह RSS के लोग थे, जो आज हमें पाठ पढ़ा रहे हैं। सच्चाई यही है कि जिन लोगों ने कभी देश के लिए लड़ाई ही नहीं लड़ी, उन्हें आजादी का मतलब कैसे पता होगा?
पूरा देश जानता है कि 1949 में RSS के नेताओं ने संविधान का विरोध किया था, क्योंकि ये मनुस्मृति पर आधारित संविधान नहीं था।
RSS के लोगों ने न संविधान को स्वीकार किया और न तिरंगे झंडे को माना।
इसलिए पहली बार 26 जनवरी, 2002 को कोर्ट के आदेश के बाद RSS को अपने मुख्यालय पर मजबूरी में… pic.twitter.com/WM4OOB9HQ4
— Congress (@INCIndia) December 16, 2024
मल्लिकार्जुन खरगे के संबोधन से जुड़ी प्रमुख बातें
प्रश्न 1: मल्लिकार्जुन खरगे का संबोधन किस मुद्दे पर था?
उत्तर: मल्लिकार्जुन खरगे का संबोधन मुख्य रूप से भारतीय संविधान और RSS के इतिहास पर केंद्रित था, जहां उन्होंने RSS की संविधान विरोधी गतिविधियों का जिक्र किया।
प्रश्न 2: मल्लिकार्जुन खरगे ने संविधान के संबंध में क्या कहा?
उत्तर: खरगे ने कहा कि संविधान हर व्यक्ति को शक्तिशाली बनाता है और इसमें जाति, धर्म या पंथ के आधार पर भेदभाव का कोई स्थान नहीं है।
प्रश्न 3: मल्लिकार्जुन खरगे का संबोधन कब हुआ?
उत्तर: मल्लिकार्जुन खरगे का संबोधन हाल ही में उच्च सदन में हुआ था, जिसका उद्देश्य मोदी सरकार और RSS की नीतियों पर सवाल उठाना था।
प्रश्न 4: मल्लिकार्जुन खरगे ने अल्पसंख्यकों और महिलाओं के अधिकारों के बारे में क्या कहा?
उत्तर: उन्होंने बताया कि भारत में महिलाओं और सभी नागरिकों को वोट का अधिकार संविधान और कांग्रेस द्वारा दिए गए थे, जबकि RSS ने यूनिवर्सल एडल्ट फ्रेंचाइज का विरोध किया था।
प्रश्न 5: मल्लिकार्जुन खरगे का संबोधन किसका प्रतिनिधित्व करता है?
उत्तर: मल्लिकार्जुन खरगे का संबोधन कांग्रेस पार्टी और उसके विचारों का प्रतिनिधित्व करता है, जो समानता और धर्मनिरपेक्षता पर जोर देता है।

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