रूडी ने कांस्टिट्यूशन क्लब चुनाव में दबदबा कायम रखा, भाजपा के अपने साथी संजीव बालियान को हराया

रूडी ने कांस्टिट्यूशन क्लब चुनाव में दबदबा कायम रखा, भाजपा के अपने साथी संजीव बालियान को हराया

रूडी ने कांस्टिट्यूशन क्लब चुनाव में दबदबा कायम रखा, भाजपा के अपने साथी संजीव बालियान को हराया
Modified Date: August 13, 2025 / 05:41 pm IST
Published Date: August 13, 2025 5:41 pm IST

नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा) भाजपा के राजीव प्रताप रूडी ने ‘कांस्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया’ के प्रबंधन में 25 साल से अधिक के प्रभुत्व को बरकरार रखते हुए अपनी ही पार्टी के नेता संजीव बालियान को सबसे कड़े चुनावों में से एक में हरा दिया।

मंगलवार को हुए मतदान की जिम्मेदारी संभालने वाले अधिकारियों ने बताया कि सचिव (प्रशासन) के महत्वपूर्ण पद के लिए रूडी को 391 वोट मिले, जबकि बालियान को 291 वोट मिले। इसके अलावा, रूडी के पैनल के एक सदस्य को छोड़कर सभी सदस्य 11 कार्यकारी सदस्यों के पद के लिए निर्वाचित हुए।

अपने समर्थकों के जश्न के बीच, बिहार के सारण से पांचवीं बार लोकसभा सदस्य रूडी ने नए पदाधिकारियों में भाजपा, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस सहित विभिन्न दलों के सदस्यों की उपस्थिति पर प्रकाश डाला।

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रूडी ने कहा, ‘‘यह सभी सांसदों और उन सभी लोगों के लिए एक शानदार जीत है, जो वोट देने आए और पिछले दो दशकों से टीम के अथक प्रयासों का समर्थन किया… यह एक खूबसूरत अनुभव है।’’

विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के सदस्य जहां रूडी के समर्थन में एकजुट होते दिखे, वहीं भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के नेतृत्व में बालियान के अभियान को सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों से अधिक समर्थन मिला। हालांकि, भाजपा के एक तबके ने भी रूडी के पक्ष में मतदान किया।

इस चुनाव की गूंज पहले क्लब परिसर के बाहर शायद ही महसूस की जाती थी और इसे कभी भी समाचार की तरह नहीं देखा जाता था। हालांकि, इस बार के चुनाव ने सोशल मीडिया सहित खूब चर्चा बटोरी और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रमुख व्यक्ति इसके परिणाम को आकार देने में असामान्य रूप से रुचि लेते दिखे।

रूडी के व्यक्तिगत संपर्क, बिहार में उनकी जड़ों और हमेशा छिपे रहने वाले जातिगत पहलू ने भी अपनी भूमिका निभाई, खासकर इसलिए क्योंकि उनके प्रतिद्वंद्वी को संबंधित चुनाव में उतरने से पहले क्लब के मामलों में ज्यादा दिलचस्पी लेते नहीं देखा गया।

‘ठाकुर बनाम जाट’ या ‘भाजपा बनाम भाजपा’ जैसे शब्द चर्चा में आए। हालांकि, दोनों उम्मीदवारों ने व्यक्तिगत रूप से अपने अभियान में किसी भी विवादास्पद बात से परहेज किया।

दुबे ने जहां रूडी को विपक्षी दलों से मिले समर्थन की बात कही, वहीं क्लब की प्रतिष्ठा बढ़ाने का श्रेय पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट नेता बालियान को दिया।

उन्होंने कहा कि बालियान की ताकत के कारण सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे मतदान करने आए। उन्होंने दावा किया कि जब 2005 और 2010 में रूडी के खिलाफ कांग्रेस के जयप्रकाश अग्रवाल ने चुनाव लड़ा था, तब न तो सोनिया गांधी और न ही तत्कालीन संप्रग सरकार का कोई मंत्री मतदान करने आया था।

क्लब के एक अधिकारी ने दावा किया कि इस चुनाव से पहले रूडी को कभी भी किसी चुनावी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा था, जिन्हें 1999 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी ने इस पद के लिए नामित किया था।

उन्होंने बताया कि 2009 में क्लब में पदों के लिए चुनाव की शुरुआत हुई थी। लोकसभा अध्यक्ष क्लब के पदेन अध्यक्ष होते हैं, लेकिन सचिव (प्रशासन) द्वारा इसके कार्यकारी कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है।

तृणमूल कांग्रेस की सांसद सागरिका घोष ने ‘एक्स’ पर दावा किया कि पीयूष गोयल और किरेन रीजीजू जैसे कई मंत्रियों और कुछ राज्यपालों के साथ मतदान करने वाले शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा समर्थित उम्मीदवार हार गए हैं।

दुबे विपक्षी दलों के कटु आलोचक रहे हैं और बालियान के सबसे मुखर समर्थक भी रहे हैं। यही वजह है कि ‘इंडिया’ गठबंधन के सांसदों ने रूडी का समर्थन किया, जो अपने राजनीतिक रूप से कट्टर प्रतिद्वंद्वी के विपरीत एक सौम्य और सुलझे हुए सांसद हैं।

विपक्ष के एक सांसद ने कहा कि उनका मानना है कि भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं का बालियान के प्रति ज़्यादा झुकाव था।

अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान और पूर्व सांसदों को मिलाकर कुल 1,295 मतदाताओं में से 680 से अधिक वैध वोट डाले गए, जिससे यह क्लब के पदाधिकारियों के चुनाव के लिए हुए सर्वाधिक मतदान में से एक बन गया।

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला जैसे कई राज्यपालों और केंद्रीय मंत्रियों ने मतदान किया, क्योंकि उम्मीदवारों ने अपने समर्थकों को एकजुट करने के लिए गहन प्रयास किए।

रूडी ने एक और कार्यकाल के लिए अपने कार्य के दौरान क्लब में कई सुविधाएं जोड़ने और इसके आधुनिकीकरण का उल्लेख किया था, जबकि बालियान बदलाव का आह्वान कर रहे थे और कह रहे थे कि क्लब को सांसदों तथा पूर्व सांसदों की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि आईएएस और आईपीएस अधिकारियों जैसे ‘‘बाहरी लोगों’’ पर।

ग्यारह सदस्यीय कार्यकारी समिति के लिए चुने गए लोगों में नरेश अग्रवाल, प्रसून बनर्जी, प्रदीप गांधी, नवीन जिंदल, दीपेंद्र सिंह हुड्डा, एनके प्रेमचंद्रन, प्रदीप कुमार वर्मा, जसबीर सिंह गिल, कलिकेश नारायण सिंह देव, श्रीरंग अप्पा बार्ने और अक्षय यादव शामिल हैं।

भाषा

नेत्रपाल पवनेश

पवनेश


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