सबरीमला मंदिर के कपाट वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए खुले, श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी
सबरीमला मंदिर के कपाट वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए खुले, श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी
पथनमथिट्टा, 16 नवंबर (भाषा) केरल के सबरीमला में भगवान अयप्पा मंदिर के कपाट वार्षिक मंडलम-मकरविलक्कु तीर्थयात्रा की शुरुआत से पहले रविवार शाम खोल दिए गए। इस वर्ष की तीर्थयात्रा में दुनिया भर से हजारों श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है।
करीब दो महीने से भी लंबा यह तीर्थ सत्र सोमवार से शुरू होगा, जो मलयालम महीने ‘वृश्चिकम’ का पहला दिन है।
रविवार शाम कपाट खुलते ही सन्निधानम (मंदिर परिसर), यात्रा मार्ग और आधार शिविरों में भारी भीड़ देखी गई। मंदिर खुलते ही सैकड़ों तीर्थयात्री दर्शन के लिए उमड़ पड़े।
जैसे ही मौजूदा मेलशंती (मुख्य पुजारी) अरुणकुमार नंबूदरी ने तंत्री (प्रधान पुजारी) महेश मोहनारू, त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड (टीडीबी) के अधिकारियों और श्रद्धालुओं की उपस्थिति में गर्भगृह का द्वार खोला, मंदिर परिसर भगवान अयप्पा के जयकारों से गूंज उठा।
टीडीबी सूत्रों के मुताबिक, इसी अवसर पर सबरीमला और मलिकप्पुरम मंदिरों के नये मेलशंती ईडी प्रसाद और एमजी मनु का पदस्थापन समारोह भी आयोजित किया गया।
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने ऑनलाइन माध्यम से अग्रिम बुकिंग (वर्चुअल क्यू सिस्टम) कराने वालों की दैनिक संख्या 70,000 से 90,000 निर्धारित की है, जबकि मौके पर बुकिंग कराने वालों के लिए यह सीमा 20,000 रखी गई है।
वार्षिक यात्रा के दौरान मंदिर प्रतिदिन तड़के तीन बजे से रात 11 बजे तक खुला रहेगा। रात में कपाट बंद होने से ठीक पहले भगवान अयप्पा को समर्पित पारंपरिक भजन ‘हरिवरासनम’ गाया जाएगा।
इससे पहले, टीडीबी ने बताया कि श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए सभी जरूरी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
सूत्रों ने बताया कि तीर्थयात्रियों के लिए ढेरों सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं, जिनमें कई किलोमीटर पैदल चलकर आने वाले भक्तों के लिए स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था, पैदल मार्ग पर विश्राम के वास्ते बेंच, पेयजल स्टॉल, चुक्कुवेल्लम (सोंठ मिला पानी) और गर्म पानी वितरण केंद्र शामिल हैं।
यात्रा अवधि के दौरान मंदिर परिसर में चौबीसों घंटे सफाई व्यवस्था के लिए सैकड़ों कर्मचारी तैनात रहेंगे। देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बहुभाषी सूचना बोर्ड भी लगाए गए हैं।
तीर्थयात्रियों के लिए कई आपातकालीन चिकित्सा केंद्र भी स्थापित किए गए हैं।
भाषा खारी पारुल
पारुल

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