न्यायालय ने न्यायाधिकरणों के लिए स्थायी ढांचे की वकालत की

न्यायालय ने न्यायाधिकरणों के लिए स्थायी ढांचे की वकालत की

न्यायालय ने न्यायाधिकरणों के लिए स्थायी ढांचे की वकालत की
Modified Date: January 2, 2025 / 11:03 pm IST
Published Date: January 2, 2025 11:03 pm IST

नयी दिल्ली, दो जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के लिए स्थायी भवन और स्थायी स्टाफ की वकालत करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार के लिए यह विवेकपूर्ण होगा कि वह न्यायिक और अर्ध-न्यायिक निकायों में ‘आउटसोर्स’ कर्मियों की तैनाती न करे।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ को केंद्र सरकार ने सूचित किया कि कैट, जम्मू के कामकाज के लिए एक भवन किराये पर लिया गया है और वहां ‘आउटसोर्स’ कर्मचारियों की तैनाती की जाएगी।

पीठ ने एक आदेश में कहा, “यह अत्यंत वांछनीय है कि न्यायाधिकरण के लिए एक स्थायी भवन के साथ-साथ उचित न्यायालय कक्ष, चैंबर, कार्यालय और स्टाफ भी होना चाहिए। न्यायिक और अर्ध-न्यायिक निकायों में ‘आउटसोर्स’ कर्मचारियों को तैनात करना बुद्धिमत्तापूर्ण नहीं हो सकता है, जहां अभिलेखों का रखरखाव, गोपनीयता और अभिलेखों को अद्यतन करना दिन-प्रतिदिन की चुनौतियां हैं।”

 ⁠

अचल शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान, केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया कि सरकार ‘आउटसोर्सिंग’ के जरिये रिक्तियों को भर रही है।

पीठ ने कहा कि 58 स्वीकृत पदों में से 26 नियमित आधार पर भरे जाते हैं, जबकि 10 ‘आउटसोर्स’ कर्मचारियों द्वारा भरे गए हैं।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि हाल ही में न्यायाधिकरण के एक सदस्य ने उनसे मुलाकात की और उन्हें बताया गया कि उच्च-स्तरीय मामलों की फाइल भी ‘आउटसोर्स’ कर्मचारियों द्वारा संभाली जा रही हैं।

उन्होंने कहा, “अदालत में आपके पास कोई ऐसा व्यक्ति होना चाहिए, जो पूरी तरह जिम्मेदार हो। जम्मू के मामले में कैट की एक पीठ हमेशा से रही है।”

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से कहा, “आप स्थायी बुनियादी ढांचा क्यों नहीं बनाते? कल, यह मकान मालिक बेदखली याचिका दायर करेगा, फिर वही समस्या होगी। न्यायालय कक्ष में एक आभा होनी चाहिए। इसे किसी निजी घर में बैठकर नहीं चलाया जाना चाहिए, जहां ‘ड्राइंग रूम’ को न्यायालय कक्ष में बदल दिया जाए।”

पिछले वर्ष अगस्त में, जम्मू के कैट में बुनियादी ढांचे की कमी को देखते हुए, शीर्ष अदालत ने न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य को आवश्यकताओं पर एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था, ताकि इसके दिन-प्रतिदिन के कामकाज में बाधा न आए।

न्यायालय ने कहा था कि सहायक कर्मचारियों की कमी के कारण न्यायाधिकरण का कामकाज प्रभावित हो रहा है।

भाषा प्रशांत पारुल

पारुल


लेखक के बारे में