SC on Special Intensive Revision: “रिवीजन करने में देर क्यों की?’.. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के SIR प्रक्रिया पर उठाए सवाल

मतदाता सूची पुनरीक्षण में निर्वाचन आयोग ने थोड़ी देर कर दी : न्यायालय

SC on Special Intensive Revision: “रिवीजन करने में देर क्यों की?’.. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के SIR प्रक्रिया पर उठाए सवाल

SC on Special Intensive Revision || Image- The Leaflet

Modified Date: July 10, 2025 / 02:12 pm IST
Published Date: July 10, 2025 1:07 pm IST
HIGHLIGHTS
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अब देर हो चुकी है।
  • मतदाता सूची पुनरीक्षण में नागरिकता जांच पर सवाल।
  • 10 से अधिक याचिकाओं पर SC में सुनवाई।

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के फैसले को लेकर बृहस्पतिवार को निर्वाचन आयोग से कहा कि आपको पहले ही कदम उठाना चाहिए था, (SC on Special Intensive Revision) अब थोड़ी देर हो चुकी है।

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‘अब थोड़ी देर हो चुकी है’ : न्यायालय

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की आंशिक कार्य दिवस पीठ ने इस मामले में सुनवाई शुरू करते हुए निर्वाचन आयोग से कहा,‘‘यदि आपको बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के अंतर्गत नागरिकता की जांच करनी थी तो आपको पहले ही कदम उठाना चाहिए था, अब थोड़ी देर हो चुकी है।’’

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इसके साथ ही पीठ ने निर्वाचन आयोग से सवाल किया,‘‘ बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण में नागरिकता के मुद्दे को क्यों उठाया जा रहा है, यह गृह मंत्रालय का अधिकार क्षेत्र है।’’

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के निर्वाचन आयोग के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सुनवाई शुरू की।

अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने जताई याचिकाओं पर आपत्ति

निर्वाचन आयोग ने न्यायालय से कहा कि संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत भारत में मतदाता बनने के लिए नागरिकता की जांच आवश्यक है। निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने बताया कि उन्हें याचिकाओं पर आपत्तियां हैं। (SC on Special Intensive Revision) द्विवेदी के अलावा वरिष्ठ अधिवक्ता के. के. वेणुगोपाल और मनिंदर सिंह भी निर्वाचन आयोग की पैरवी कर रहे हैं।

एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण की अनुमति दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि समग्र एसआईआर के तहत लगभग 7.9 करोड़ नागरिक आएंगे और यहां तक कि मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड पर भी विचार नहीं किया जा रहा है। इस मामले की सुनवाई अभी जारी है।

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10 से अधिक याचिकाएं दायर

उच्चतम न्यायालय में इस मामले के संबंध में 10 से अधिक याचिकाएं दायर की गयी हैं जिनमें प्रमुख याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ है।

राजद सांसद मनोज झा और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के अलावा, कांग्रेस के के सी वेणुगोपाल, शरद पवार नीत राकांपा गुट से सुप्रिया सुले, भाकपा से डी राजा, समाजवादी पार्टी से हरिंदर सिंह मलिक, शिवसेना (उबाठा) से अरविंद सावंत, झारखंड मुक्ति मोर्चा से सरफराज अहमद और भाकपा (SC on Special Intensive Revision) के दीपांकर भट्टाचार्य ने संयुक्त रूप से शीर्ष अदालत का रुख किया है। सभी नेताओं ने बिहार में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण के निर्वाचन आयोग के आदेश को चुनौती दी है और इसे रद्द करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।


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