बिहार में एसआईआर पर उच्चतम न्यायालय का फैसला विपक्षी दलों के लिए एक ‘‘झटका’’ : भाजपा

बिहार में एसआईआर पर उच्चतम न्यायालय का फैसला विपक्षी दलों के लिए एक ‘‘झटका’’ : भाजपा

बिहार में एसआईआर पर उच्चतम न्यायालय का फैसला विपक्षी दलों के लिए एक ‘‘झटका’’ : भाजपा
Modified Date: July 10, 2025 / 09:59 pm IST
Published Date: July 10, 2025 9:59 pm IST

नयी दिल्ली, 10 जुलाई (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बृहस्पतिवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्वाचन आयोग को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को जारी रखने की अनुमति देना इस कवायद का विरोध कर रहे विपक्षी दलों के लिए एक ‘‘झटका’’ है।

भाजपा ने विपक्षी दलों से कहा कि वे इस पर शोर मचाने के बजाय अपने मतदाताओं को लुभाने के लिए कड़ी मेहनत करें।

भाजपा सांसद एवं पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने ‘पीटीआई वीडियो’ से कहा कि निर्वाचन आयोग ने बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल पात्र मतदाता ही अपने मताधिकार का इस्तेमाल करें।

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बिहार की सारण लोकसभा सीट से सांसद ने कहा, ‘‘यह निर्वाचन आयोग का संवैधानिक अधिकार है।’’

रूडी ने कहा, ‘‘विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन, शीर्ष अदालत ने इस प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई। यह उन राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ा झटका है, जिन्होंने यह अभियान (बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण के खिलाफ) शुरू किया था।’’

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ये विपक्षी दल अब डर गए होंगे और उन्हें आगामी बिहार चुनाव में अपनी हार का अहसास होने लगा होगा। उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें अपने मतदाताओं को लुभाने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए… बजाय इसके कि वे यह रोना रोएं कि उनके मतदाताओं को मतदाता सूची से हटाया जा रहा है।’’

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को निर्वाचन आयोग को बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण को जारी रखने की अनुमति देते हुए इसे ‘‘संवैधानिक दायित्व’’ बताया।

न्यायालय ने कहा कि बिहार में एसआईआर के दौरान आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड पर दस्तावेज के तौर पर विचार किया जा सकता है।

मामले की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय की कुछ टिप्पणियों को ध्यान में करते हुए रूडी ने कहा कि निर्वाचन आयोग उन पर गौर करेगा।

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने हालांकि, इस कवायद के समय पर सवाल उठाया और पूछा, ‘‘यह चुनाव से कुछ महीने पहले क्यों किया जा रहा है, जबकि यह प्रक्रिया बहुत पहले शुरू की जा सकती थी?’

भाषा

देवेंद्र रंजन

रंजन


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