फारूक अब्दुल्ला का आरोप, कहा- नजरबंद करना लोकतंत्र में हस्तक्षेप के समान, सुरक्षा के नाम पर किया जा रहा ​बाधित | Security being used to disrupt democracy in J&K: Abdullah

फारूक अब्दुल्ला का आरोप, कहा- नजरबंद करना लोकतंत्र में हस्तक्षेप के समान, सुरक्षा के नाम पर किया जा रहा ​बाधित

फारूक अब्दुल्ला का आरोप, कहा- नजरबंद करना लोकतंत्र में हस्तक्षेप के समान, सुरक्षा के नाम पर किया जा रहा ​बाधित

फारूक अब्दुल्ला का आरोप, कहा- नजरबंद करना लोकतंत्र में हस्तक्षेप के समान, सुरक्षा के नाम पर किया जा रहा ​बाधित
Modified Date: November 29, 2022 / 08:21 pm IST
Published Date: November 21, 2020 11:15 am IST

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नवगठित गुपकर गठबंधन के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने शनिवार को गठबंधन के उम्मीदवारों के साथ ‘‘किए जा रहे व्यवहार’’ पर आपत्ति जताते हुए कहा कि केंद्रशासित प्रदेश में लोकतंत्र को बाधित करने के लिए बहाना के रूप में सुरक्षा का उपयोग किया जा रहा है। श्रीनगर से लोकसभा सदस्य अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर के चुनाव आयुक्त के के शर्मा को लिखे दो पृष्ठों के पत्र में कहा कि कुछ चुनिंदा लोगों को सुरक्षा प्रदान करना और बाकी को वस्तुत: नजरबंद करना लोकतंत्र में व्यापक हस्तक्षेप के समान है।

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उन्होंने पत्र में लिखा है, ‘‘मैं आगामी डीडीसी चुनावों के बारे में आपको लिख रहा हूं। एक अजीब और अनोखी विशेषता सामने आई है। गुपकर गठबंधन द्वारा उतारे गए उम्मीदवारों को सुरक्षा के नाम पर ‘सुरक्षित स्थानों’ पर ले जाया रहा है… उन्हें चुनाव प्रचार करने की अनुमति नहीं है, वे उन लोगों के संपर्क से पूरी तरह से दूर हैं, जिनसे उन्हें वोट मांगना है।’’ उन्होंने कहा कि गुपकर गठबंधन में शामिल पार्टियां विगत में सत्ता में रही हैं और उन्हें सरकार चलाने का अवसर मिला है और वे हिंसा से घिरे स्थान पर सुरक्षा को लेकर उत्पन्न चुनौतियों से वाकिफ हैं।

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अब्दुल्ला ने कहा, ”ये चुनौतियां नयी नहीं हैं, बल्कि पिछले तीन दशकों से दुखद रूप से बनी हुई हैं। लेकिन सरकार के पास ऐसी व्यवस्था थी, जो सभी उम्मीदवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करती थीं, चाहे वे किसी भी विचारधारा के हों या वे किसी भी दल का प्रतिनिधित्व करते हों।” उन्होंने जोर दिया कि जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र का विकास देश के किसी अन्य हिस्से की तुलना में विशिष्ट है और यह ‘रक्तरंजित यात्रा’ रही है, जो हजारों राजनीतिक कार्यकर्ताओं के खून से सनी है, जिन्होंने लोकतंत्र के खातिर अपनी जान दे दी।

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