Prashant Kishor: पर कांग्रेस में विवाद, पीके पहुंचे हैदराबाद

कांग्रेस सोचती ही रह गई, प्रशांत जा मिले कांग्रेस के दुश्मन से !

कुछ राजनीतिक विश्लेषक इसे भी प्रशांत की रणनीति का हिस्सा बता रहे हैं।  उनका कहना है प्रशांत से कांग्रेस यही अपेक्षा कर रही है कि वे पार्टी के साथ पदाधिकारी बनकर जुड़ें, लेकिन प्रशांत इसके लिए बहुत सारी शर्तें लगा रहे हैं।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:08 PM IST, Published Date : April 24, 2022/4:13 pm IST

बरुण सखाजी.

कांग्रेस की निर्णय प्रक्रिया की धीमी गति को देखते हुए प्रशांत किशोर आज हैदराबाद में केसीआर से मिलने जा पहुंचे। पीके हैदराबाद में केसीआर से उनके प्रगति भवन में मिले। वे यहां से 62 किलोमीटर दूर केसीआर के फार्म हाउस पर जाकर भी कुछ समय तक रहे। राजनीतिक जानकार बताते हैं कांग्रेस की फैसला लेने की रफ्तार बहुत कम है। इस वजह से प्रशांत किशोर अपने अगले क्लाइंट केसीआर के साथ विस्तार से बात करने चले गए। कुछ राजनीतिक विश्लेषक इसे भी प्रशांत की रणनीति का हिस्सा बता रहे हैं।  उनका कहना है प्रशांत से कांग्रेस यही अपेक्षा कर रही है कि वे पार्टी के साथ पदाधिकारी बनकर जुड़ें, लेकिन प्रशांत इसके लिए बहुत सारी शर्तें लगा रहे हैं। सूत्रों  के मुताबिक पार्टी में अपना एजेंडा लागू करने के लिए उन्हें पूरी ताकत चाहिए जो सिर्फ और सिर्फ गांधी परिवार दे सकता है।

प्रशांत की मुलाकात के मायने

राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर और केसीआर की भेंट के मायने अनेक हैं। पहला तो वे कांग्रेस की निर्णय प्रक्रिया को लेकर असहज दिख रहे हैं। दूसरा कारण कांग्रेस की सात सदस्यीय टीम जिसे  प्रशांत को चुनने या न चुनने के लिए रिपोर्ट देने  को कहा गया है,  वह प्रशांत को लेकर असहज है। प्रशांत यह किसी रणनीति के तहत नहीं कर रहे, सिर्फ यह बताना चाह रहे हैं कि वे केसीआर के साथ जुड़े रहकर भी कांग्रेस के साथ काम कर सकते हैं। कांग्रेस अगर उनकी शर्तें  मानती है तो उन्हें इसमें  कोई दिक्कत नहीं।

केसीआर की मुख्य प्रतिद्वंदी कांग्रेस ही है

केसीआर की टीआरएस अभी तेलंगाना में सत्ता में है। मुख्य विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस और टीडीपी हैं। लेकिन राज्य में टीआरएस को चुनौति देने वाली पार्टी कांग्रेस ही है। ऐसे में राजनीतिक रणनीतिकार  ललित श्रीवास्तव मानते हैं  कि केसीआर और कांग्रेस दोनों के साथ प्रशांत काम नहीं कर सकते। इससे कांग्रेस तेलंगाना में कमजोर होगी। सिर्फ देश के आम चुनावों के लिए प्रशांत को कांग्रेस साथ नहीं लाना चाहती। पार्टी उनकी होरीजेंटल सेवाएं लेगी। पार्टी पदाधिकारी बनते  ही वे इस प्रोटोकॉल से बंध जाएंगे।