सिद्धरमैया ने आरएसएस को ‘आर्य’ बताते हुए निष्ठा स्पष्ट करने को कहा

सिद्धरमैया ने आरएसएस को ‘आर्य’ बताते हुए निष्ठा स्पष्ट करने को कहा

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  • Publish Date - May 28, 2022 / 09:32 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:35 PM IST

बेंगलुरु, 28 मई (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के खिलाफ अपना हमला जारी रखते हुए शनिवार को इसे एक ‘‘आर्य’’ संगठन बताया और उसके नेताओं से कहा कि उन्हें अपनी निष्ठा स्पष्ट करनी चाहिए कि वह तिरंगे के प्रति है या भगवा ध्वज के प्रति। उन्होंने कहा कि संगठन बताए कि उसकी निष्ठा संविधान के प्रति है या या मनु स्मृति के प्रति, महात्मा गांधी के प्रति है या फिर नाथूराम गोडसे के प्रति।

कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धरमैया ने सिलसिलेवार ट्वीट में सवाल किया कि आरएसएस केवल भाजपा का समर्थन क्यों करता है, एक हिंदू कहलाने के लिए क्या मानदंड होना चाहिए और संगठन ने अपने सभी पदाधिकारियों के पद सिर्फ एक जाति के लिए आरक्षित क्यों किए हैं।

सिद्धरमैया ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साधते हुए शुक्रवार को सवाल किया था कि क्या संगठन से जुड़े लोग ‘मूल भारतीय’, ‘द्रविड़’ या ‘आर्य’ हैं।

आरएसएस सत्तारूढ़ भाजपा का मूल वैचारिक संगठन है।

सिद्धरमैया ने सवाल किया, ‘‘मेरा (कल का) सवाल आरएसएस से था, लेकिन वे कर्नाटक भाजपा के नेता हैं जो जवाब दे रहे हैं। वे छाती क्यों पीट रहे हैं? क्या आरएसएस के नेता जवाब देने में असमर्थ हैं?’’

उन्होंने कहा कि आरएसएस हिंदुओं का एकमात्र रक्षक होने का दावा करता है, लेकिन केवल भाजपा का समर्थन करता है। उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या उन्हें भाजपा से बाहर हिंदू नहीं दिखते?’

सिद्धरमैया ने पूछा, ‘‘किस मापदंड के आधार पर आरएसएस ने तय किया है कि केवल भाजपा नेता हिंदू हैं? आरएसएस के अनुसार, किसी को हिंदू कहलाने के लिए क्या मापदंड होना चाहिए?’’

मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने आरएसएस पर तंज कसने को लेकर सिद्धरमैया पर पलटवार करते हुए उनसे सवाल किया कि वह द्रविड़ हैं या आर्य?

पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सवाल करते हुए कहा कि आरएसएस के हिंदू धर्म में, दलितों और पिछड़ा वर्ग समुदायों की स्थिति क्या है। उन्होंने कहा, ‘‘यह आरक्षण और भूमि सुधारों का विरोध क्यों करता रहा है? क्या इनके लाभार्थी हिंदू नहीं हैं?’’

उन्होंने कहा, ‘‘आरएसएस जो यह दावा करता है कि हिंदू एक हैं, उसने अपने सभी पदाधिकारियों के पद सिर्फ एक जाति के लिए आरक्षित क्यों किए हैं? कितने आरएसएस पदाधिकारी दलित और पिछड़े वर्गों से हैं?’’

कांग्रेस विधायक दल के नेता ने कहा कि आरएसएस के अनुसार किसी को हिंदू के रूप में कैसे पहचाना जाता है, क्या हिंदू माता-पिता के यहां जन्म लेना पर्याप्त है या किसी को भाजपा का सदस्य होना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘आरएसएस नेता अस्पृश्यता, असमानता और अंधविश्वास के मुद्दों पर क्यों नहीं बोल रहे हैं? अगर हिंदू धर्म की सामाजिक बुराइयों पर सवाल उठाने से किसी को हिंदू विरोधी के रूप में जाना जाता है, तो आप स्वामी विवेकानंद, कनकदास और नारायण गुरु को क्या कहेंगे, जिन्होंने ऐसा ही किया?’’

भाषा अमित नेत्रपाल

नेत्रपाल