कानूनी शब्दावली से हटेंगे लैंगिक असमानता दर्शाने वाले शब्द, अब कोर्ट में महिलाओं के लिए बिन ब्याही मां…! SC की नई गाइडलाइन जारी….

Supreme court on Gender Stereotypes: words with gender negative philosophy will be removed from the law book

कानूनी शब्दावली से हटेंगे लैंगिक असमानता दर्शाने वाले शब्द, अब कोर्ट में महिलाओं के लिए बिन ब्याही मां…! SC की नई गाइडलाइन जारी….

SC/ST/OBC Reservation

Modified Date: August 17, 2023 / 10:11 am IST
Published Date: August 17, 2023 10:04 am IST

Supreme court on Gender Stereotypes: नई दिल्ली। देश की अदालतों में अब ऐसे जेंडर स्टीरियोटाइप शब्दों का इस्तेमाल नहीं होगा, जो महिलाओं के लिए आपत्तिजनक साबित होते हैं। ना तो ऐसे शब्दों के जरिये दलीलें दी जाएंगी और ना ही इनका इस्तेमाल जज अपने फैसले में कर पाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने लैंगिक भेदभाव और असमानता को दर्शाने वाले शब्दों के इस्तेमाल से बचने के लिए बुधवार को एक हैंडबुक लॉन्च किया, जिसमें ऐसे शब्दों का उदाहरण और उनका रिप्लेसमेंट सुझाया गया है।

इससे जजों और वकीलों को अपने फैसलों और दलीलों में जेंडर रिलेटिड अनुचित शब्दों के इस्तेमाल से बचाव में मदद मिलेगी। यह हैंडबुक भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने लॉन्च की। उन्होंने इस दौरान कहा कि इस हैंडबुक से जजों और वकीलों को यह समझने में आसानी होगी कि कौन से शब्द स्टीरियोटाइप (रूढ़िवादी) हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है। अब जल्द ही कानूनी शब्दावली से छेड़छाड़, वेश्या, बिन ब्याही मां, अफेयर और हाउसवाइफ जैसे शब्द बाहर हो जाएंगे।

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चीफ जस्टिस ने जारी किया हैंडबुक

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी हैंडबुक में न्यायिक विमर्श में और आदेशों व फैसलों के उपयोग के लिए वैकल्पिक शब्द एवं मुहावरे सुझाए हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करते वक्त इस हैंडबुक का जारी किया। इस हैंडबुक का नाम है- ‘हैंडबुक ऑन कॉम्बैटिंग जेंडर रूढ़िवादिता’।

प्रचलित शब्दों के इस्तेमाल से नुकसान

30 पेज के इस हैंडबुक में यह भी बताया गया है कि प्रचलित शब्द गलत क्यों हैं और वे कानून को और कैसे बिगाड़ सकते हैं। हैंडबुक लॉन्च करते समय चीफ जस्टिस ने कहा कि इसे तैयार करने का मकसद किसी फैसले की आलोचना करना या संदेह करना नहीं , बल्कि यह बताना है कि अनजाने में कैसे रूढ़िवादिया की परंपरा चली आ रही है। अदालत का उद्देश्य यह बताना है कि रुढ़िवादिता क्या है और इससे क्या नुकसान है।

कई शब्दों को बदला गया

Supreme court on Gender Stereotypes: इस हैंडबुक में कई शब्दों को बदला गया है। जैसे इनमें बिन ब्याही मां की जगह सिर्फ मां, वेश्या की जगह यौनकर्मी, अफेयर की जगह शादी से इतर रिश्ता, छेड़छाड़ की जगह सड़क पर यौन उत्पीड़न जैसे शब्दों का इस्तेमाल होगा।

सूची में शामिल कुछ शब्द इस प्रकार हैं —

व्यभिचारिणी :विवाहेतर संबंध बनाने वाली महिला
प्रेम संबंध : विवाह से बाहर संबंध
बाल वेश्या: जिस बच्चे-बच्ची की तस्करी की गई है
रखैल: एक महिला, जिसके साथ एक पुरुष का विवाहेतर यौन संबंध है
फब्तियां कसना: गलियों में किया जाने वाला यौन उत्पीड़न
जबरन बलात्कार: बलात्कार
देहव्यापार करने वाली (हार्लट) : महिला
वेश्या (हूकर): यौन कर्मी
भारतीय महिला/पाश्चात्य महिला : महिला
विवाह करने योग्य उम्र: एक महिला जो विवाह के लिए जरूरी आयु की हो गई है
उत्तेजित करने वाले कपड़े/परिधान :कपड़े/परिधान
पीड़ित या पीड़िता :यौन हिंसा प्रभावित
ट्रांससेक्सुअल : ट्रांसजेंडर
बिन ब्याही मां :मां

 

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