82 प्रतिशत मामलों में अनुकूल या तटस्थ व्यवहार दिखाते हैं आवारा कुत्ते : शोध

82 प्रतिशत मामलों में अनुकूल या तटस्थ व्यवहार दिखाते हैं आवारा कुत्ते : शोध

82 प्रतिशत मामलों में अनुकूल या तटस्थ व्यवहार दिखाते हैं आवारा कुत्ते : शोध
Modified Date: August 13, 2025 / 07:52 pm IST
Published Date: August 13, 2025 7:52 pm IST

नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा) भारत में इंसानों और सड़क पर रहने वाले कुत्तों के बीच ज्यादातर आमने-सामने की स्थितियां शांतिपूर्ण रहती हैं। एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के एक अध्ययन की मानें तो 82 प्रतिशत मामलों में कुत्तों का व्यवहार या तो मिलनसार था या तटस्थ।

यह शोध सड़क पर रहने वाले कुत्तों और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच संबंधों को समझने के प्रयास का हिस्सा है।

प्रोफेसर कृतिका श्रीनिवासन के नेतृत्व में किए गए इस शोध से प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि आवारा कुत्तों से मानव का सामना होने की स्थिति में केवल दो प्रतिशत मामले ऐसे होते हैं, जब कुत्ते उन पर भौंकते हों, पीछा करतें हों या काट लेते हों।

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यह निष्कर्ष इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने कुत्तों के काटने और रेबीज के बढ़ते मामलों के मद्देनजर दिल्ली-एनसीआर के सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को हटाने और उन्हें आश्रय गृहों में रखने का सोमवार को आदेश दिया था।

भारत में पिछले दो दशकों में रेबीज के मामलों में लगभग 75 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो 2005 के 274 से घटकर 2022 में 34 रह गई है, जिसका मुख्य कारण बड़े पैमाने पर कुत्तों का टीकाकरण है।

देश के 15 राज्यों में 2022-23 में किए गए एक सर्वेक्षण में, कुत्तों के काटने की घटना प्रति 1,000 जनसंख्या पर 4.7 दर्ज की गई, जो ब्रिटेन के चेशायर में दर्ज की गई 18.7 प्रति 1,000 की दर से कम है।

चेन्नई, जयपुर और मलप्पुरम (केरल) में जनमत सर्वेक्षणों में पाया गया कि 86 प्रतिशत लोग कुत्तों के टीकाकरण और 66 प्रतिशत लोग नसबंदी के पक्ष में थे, जबकि 70 प्रतिशत से अधिक लोगों ने कुत्तों को मारने का विरोध किया।

भाषा शफीक सुरेश

सुरेश


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