त्रिपुरा में छात्र की हत्या: एनएचआरसी ने देहरादून के जिलाधिकारी और एसएसपी को नोटिस जारी किया

त्रिपुरा में छात्र की हत्या: एनएचआरसी ने देहरादून के जिलाधिकारी और एसएसपी को नोटिस जारी किया

त्रिपुरा में छात्र की हत्या: एनएचआरसी ने देहरादून के जिलाधिकारी और एसएसपी को नोटिस जारी किया
Modified Date: December 30, 2025 / 10:59 am IST
Published Date: December 30, 2025 10:59 am IST

नयी दिल्ली, 30 दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने त्रिपुरा के एक छात्र की उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में कथित तौर पर नस्ली भेदभाव के चलते हत्या किए जाने के मामले में देहरादून के जिला मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को नोटिस जारी किया है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने देहरादून अधिकारियों को आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया है और सात दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है।

आयोग ने मामले की कार्यवाही की एक प्रति उत्तराखंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को भेजने के लिए भी कहा है। उसने कहा, ‘‘इसके अतिरिक्त, अधिकारियों को पूरे राज्य में पूर्वोत्तर क्षेत्र के छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है।’’

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देहरादून के एक निजी विश्वविद्यालय में एमबीए अंतिम वर्ष के छात्र 24 वर्षीय अंजेल चकमा पर नौ दिसंबर को कुछ युवकों ने चाकू से कथित तौर पर हमला किया था। सत्रह दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद छात्र की 26 दिसंबर को मृत्यु हो गई थी।

छात्र अंजेल चकमा के पिता सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक जवान हैं और मणिपुर के तंगजेंग में तैनात हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके बेटे पर तब ‘बेरहमी से हमला’ किया गया जब उसने अपने भाई का बचाव करने की कोशिश की, जिसे हमलावरों ने ‘चीनी’ कहा था।

पीड़ित के पिता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को फोन पर बताया कि हमलावरों ने उनके बेटों को ‘चाइनीज मोमो’ कहकर पुकारा और उन्हें अपशब्द कहे।

छात्र के पिता ने बताया एंजेल ने युवकों से कहा कि वह ‘भारतीय है, चीनी नहीं,’ लेकिन उन्होंने उस पर चाकू और अन्य वस्तुओं से हमला किया।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की एक पीठ ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 12 के तहत संज्ञान लिया है। उक्त पीठ की अध्यक्षता उसके सदस्य प्रियांक कानूनगो कर रहे हैं।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि त्रिपुरा के छात्र पर देहरादून में ‘नस्ली तौर पर प्रेरित घटना’ में बेरहमी से हमला किया गया और उसकी हत्या कर दी गई और छात्र अपने गृह राज्य से बाहर पढ़ायी कर रहा था।

इसमें कहा गया है, ‘इस घटना को लेकर पूरे देश में आक्रोश उत्पन्न हो गया है और यह पूर्वोत्तर के लोगों के खिलाफ नस्ली भेदभाव, हिंसा को रोकने में स्थानीय अधिकारियों की विफलता और पर्याप्त सुरक्षा तंत्र की कमी को दर्शाती है।’’

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि यह घटना पीड़ित के जीवन, गरिमा और समानता के अधिकार का ‘गंभीर उल्लंघन’ है।

शिकायतकर्ता ने इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के हस्तक्षेप की मांग की थी और इस तरह के घृणा-आधारित अपराधों को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप, जवाबदेही और व्यवस्थित उपायों का अनुरोध किया था।

आयोग का कहना है कि शिकायत में लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया पीड़ित के मानवाधिकारों का उल्लंघन प्रतीत होते हैं।

उसने कहा, “रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि वह देहरादून, उत्तराखंड के जिलाधिकारी और एसएसपी को नोटिस जारी करे और उन्हें शिकायत में लगाए गए आरोपों की जांच कराने और सात दिनों के भीतर आयोग के अवलोकन हेतु कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दे।’’

सोमवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने छात्र के पिता से बात की थी और आरोपियों को कड़ी सजा का आश्वासन दिया था।

विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों के खिलाफ “घृणा अपराध” को समाप्त करने के लिए व्यापक प्रयास करने का आह्वान किया है।

भाषा अमित मनीषा

मनीषा


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