रजाई-गद्दा लेकर कॉलेज के सामने प्रदर्शन करने जुटे लॉ यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स, जानिए क्या है माजरा

रजाई-गद्दा लेकर कॉलेज के सामने प्रदर्शन करने जुटे लॉ यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स, जानिए क्या है माजरा

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  • Publish Date - March 19, 2019 / 12:33 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:47 PM IST

नई दिल्ली: पटियाला स्थित राजीव गांधी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के लगभग 700 छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। स्टूडेंट्स पिछले चार दिनों से यूनिवर्सिटी के बाहर बैठक दिन-रात प्रदर्शन कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि वे गद्दा और रजाई लेकर सड़क पर ही सोते हैं।

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दरसअल शुक्रवार को हॉस्टल के मेस में घटिया क्वालिटी का खाना मिलने को लेकर 6 छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रबंधन को शिकायत की थी। शिकायत पर कार्रवाई के बजाए प्रबंधन ने छात्रों को ही सस्पेंड कर दिया। इसके बाद से वहां पढ़ने वाले लगभग 700 छात्रों ने प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

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रविवार को वीसी डॉ. परमजीत सिंह जसवाल के साथ स्टूडेंट्स की हुई मीटिंग में भी मांगों को लेकर कोई नतीजा नहीं निकल पाया। लॉ यूनिवर्सिटी के चांसलर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के न आने से आंदोलनकारी स्टूडेंट्स में रोष बढ़ गया। फिर स्टूडेंट्स ने सोमवार को मिड सेमेस्टर के पहले एग्जाम का बायकॉट किया। इनमें करीब 50 फीसदी लड़कियां शामिल रहीं।

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केवल पांचवें साल के विद्यार्थियों ने ही परीक्षा दी, ताकि उनका साल खराब न हो। वहीं जो विद्यार्थी एग्जाम देने गए, वह रोष स्वरूप काले कपड़े पहनकर और काले बैच लगाकर गए। आरोप हैं कि यूनिवर्सिटी प्रशासन उन पर दबाव बना रहा है, ताकि वह हड़ताल खत्म कर दें। जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, आंदोलन जारी रहेगा।

ये स्टूडेंट्स की मांगें

  • हॉस्टल की मैस में बेहद घटिया खाना मिलता है। जब विद्यार्थी डेढ़ लाख रुपये प्रति सेमेस्टर की फीस भरते हैं तो खराब खाना क्यों खाएं। कई बार शिकायत की, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।
  • यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक अधिकारी एसपी सिंह का व्यवहार विद्यार्थियों के प्रति गलत है। वे गालियां निकालते हैं। इस अधिकारी को तुरंत उनके पद से हटाया जाए।
  • सस्पेंड किए गए सभी छात्रों की बहाली का लिखित में आदेश जारी हों। मुंह जुबानी कहने से बात नहीं बनेगी।
  • लड़के-लड़कियों के हॉस्टल का समय बराबर किया जाए। लड़के रात को एक बजे तक लाइब्रेरी में बैठ कर पढ़ सकते हैं, जबकि लड़कियों को आठ बजे ही हॉस्टल भेज दिया जाता है।