Guna Lok Sabha Seat: दिलचस्प है गुना लोकसभा सीट का सियासी इतिहास, कई सालों था सिंधिया परिवार का कब्जा, जानें इस बार कैसा है यहां का माहौल?

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  • Publish Date - May 6, 2024 / 06:15 PM IST,
    Updated On - May 7, 2024 / 12:37 AM IST

भोपालः Guna Lok Sabha Seat Political Analysis मध्यप्रदेश की 9 लोकसभा सीटों पर मंगलवार को तीसरे चरण के तहत वोट डाले जाएंगे। इनमें प्रदेश की वीआईपी सीट माने जाने वाली गुना लोकसभा सीट भी शामिल है। गुना लोकसभा सीट पर BJP ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मैदान में उतारा है। उनके खिलाफ कांग्रेस ने यादवेंद्र राव को टिकट दिया है। हालांकि पिछले चुनाव में केपी यादव ने सिंधिया को ही हराया था।

Guna Lok Sabha Seat Political Analysis गुना लोकसभा सीट के सियासी इतिहास की बात करें तो सिंधिया राजघराने का गढ़ मानी जाती है। साल 1957 में हुए पहले चुनाव में राजमाता विजया राजे सिंधिया यहां से कांग्रेस की ओर से सांसद बनीं थीं। साल 1962 के आम चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के रामसहाय शिवप्रसाद पांडेय सांसद बने। साल 1967 में उप-चुनाव हुए जिसमें राजगोपालाचारी की स्वतंत्र पार्टी को जीत मिली और जे बी कृपलानी सांसद बने। इसी साल लोकसभा चुनाव हुए जिसमें स्वतंत्र पार्टी के टिकट से विजया राजे सिंधिया दोबारा सांसद बनीं। साल 1971 के चुनाव में भारतीय जनसंघ से राजमाता सिंधिया के बेटे माधवराव सिंधिया सांसद बने। माधवराव 1977 और 1980 के लोकसभा चुनाव में भी सांसद के तौर पर बरकरार रहे। साल 1984 में कांग्रेस के महेंद्र सिंह सांसद बने। साल 1989 में राजमाता सिंधिया की भाजपा के टिकट से वापसी हुई और वह फिर से सांसद बनीं। राजमाता सिंधिया अगले तीन लोकसभा चुनाव 1991,1996 व 1998 में गुना सीट पर सांसद के तौर पर विजयी हुईं। साल 1999 में माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस को जीत दिलाई। साल 2001 में माधवराव सिंधिया की एक दुर्घटना में असमय मौत होने के बाद उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस सीट से टिकट मिला। उप-चुनाव जीतने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया साल 2002 में पहली बार सासंद बने। इसके बाद उन्होंने लगातार तीन चुनाव 2004,2009 व 2014 में इस सीट से कांग्रेस को जीत दिलाई।

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गुना में जातिवाद की राजनीति का असर नहीं

गुना लोकसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या 18 लाख से अधिक है। गुना लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें शिवपुरी, बमोरी, चंदेरी, पिछोर, गुना, मुंगावली, कोलारस और अशोकनगर है। इन क्षेत्रों में सबसे अधिक संख्या अनुसूचित जनजाति की है। जाटव मतदाताओं की संख्या 3 लाख है। यादव मतदाताओं की 2.5 लाख है। लोधी और गुर्जर मतदाताओं की संख्या 1.5-1.5 लाख के करीब है। इसके अलावा अनुसूचित जाति 1 लाख, कुशवाह 60 हजार, रघुवंशी 32 हजार, ब्राह्मण 80 हजार, मुस्लिम 20 हजार वैश्य जैन 20 हजार है। गुना सीट के चुनावी इतिहास देखने पर पता चलता है कि यहां पर सिंधिया राजघराने का वर्चस्व रहा है। राजमाता विजयाराजे यहां से 6 बार सांसद रहीं, उनके बेटे माधवराव चार बार लोकसभा का चुनाव जीतकर यहां से सांसद बने। फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया भी तीन बार गुना सीट से सांसद रहे। फिर भी जातिवाद की राजनीति यहां बेअसर रही। जातिवाद का कार्ड यहां नहीं चल पाने का सबसे बड़ा कारण ही सिंधिया परिवार है। सिंधिया परिवार के प्रति लोगों का प्रेम अब भी बरकरार है और स्थानीय लोग अब भी रियासत के हिसाब से सिंधिया परिवार को देखते हैं। यहां तक कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को तो लोग ‘महाराज’ कहकर संबोधित करते हैं।

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गुना लोकसभा सीट 2019 के परिणाम

लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी के कृष्ण पाल सिंह डॉ के पी यादव ने कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया और बीएसपी के धाकड़ लोकेंद्र सिंह राजपूत को हराया था। उस चुनाव में केपी यादव ने 6,14,049 वोट हासिल किए थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया को 4,88,500 वोट मिले थे और धाकड़ लोकेंद्र सिंह राजपूत को 37,530 वोट मिले थे।

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गुना लोकसभा सीट 2014 के परिणाम

लोकसभा चुनाव 2014 में गुना सीट पर कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जीत हासिल की थी। उनके साथ मैदान में बीजेपी के जयभान सिंह पवैया और बीएसपी के लाखन सिंह बघेल चुनावी मैदान में थे। बीजेपी और बीएसपी को हराते हुए कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 5,17,036 वोट प्राप्त करते हुए जीत हासिल की थी। 2019 के चुनाव में 3,96,244 वोट बीजेपी जयभान सिंह पवैया को मिले थे और बीएसपी के लाखन सिंह बघेल 27,418 वोट मिले थे।

 

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