न्यायालय ने बीएस-4 मानकों का पालन न करने वाले पुराने वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति दी

न्यायालय ने बीएस-4 मानकों का पालन न करने वाले पुराने वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति दी

न्यायालय ने बीएस-4 मानकों का पालन न करने वाले पुराने वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति दी
Modified Date: December 17, 2025 / 08:05 pm IST
Published Date: December 17, 2025 8:05 pm IST

नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार के अधिकारियों को उन पुराने वाहनों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने की अनुमति दी जो भारत स्टेज-4 (बीएस-4) उत्सर्जन मानकों को पूरा नहीं करते हैं।

प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची और न्यायमूर्ति विपुल एम. पंचोली की पीठ ने उच्चतम न्यायालय के 12 अगस्त के उस आदेश में संशोधन किया, जिसमें 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों के मालिकों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर पूर्णतः रोक लगा दी गई थी।

दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुईं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी की याचिका को स्वीकार करते हुए, पीठ ने अब कहा है कि यह संरक्षण सख्ती से बीएस-4 मानकों या उससे उच्च मानकों का पालन करने वाले वाहनों पर ही लागू होता है।

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यह आदेश उन कई निर्देशों का हिस्सा था जो बुधवार को एमसी मेहता वायु प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान पारित किए गए थे।

इसमें कहा गया है कि बीएस-4 से नीचे के उत्सर्जन मानकों पर चलने वाले पुराने वाहन, जिनमें बीएस-3 और इससे पहले के मॉडल शामिल हैं, को नियामक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

पीठ ने कहा, ‘‘दिनांक 12 अगस्त के आदेश में इस प्रकार संशोधन किया जाता है कि बीएस-4 और उससे नये मानकों वाले वाहनों के मालिकों के खिलाफ केवल इस आधार पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी कि डीजल वाहनों के मामले में वे 10 वर्ष से अधिक पुराने हैं और पेट्रोल वाहनों के मामले में 15 वर्ष से अधिक पुराने हैं।’’

एएसजी ने अदालत से बीएस-3 मानकों तक के पुराने वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति देने का आग्रह किया।

भाटी ने कहा, ‘‘पुराने वाहनों के उत्सर्जन मानक बहुत खराब हैं और ये प्रदूषण को बढ़ा रहे हैं।’’

इस दलील का समर्थन वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने किया, जो न्यायमित्र के रूप में पीठ की सहायता कर रही हैं। उन्होंने कहा कि बीएस-4 मानदंड 2010 में लागू किए गए थे और उससे पहले निर्मित वाहन अधिक प्रदूषणकारी श्रेणियों में आते हैं।

इससे पहले, तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने इस वर्ष 12 अगस्त को दिल्ली-एनसीआर में 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों के मालिकों को राहत प्रदान की थी।

इसने अधिकारियों को उनके खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई न करने का आदेश दिया था।

शीर्ष अदालत राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के निर्देश को बरकरार रखने वाले 29 अक्टूबर, 2018 के अपने फैसले को वापस लेने की मांग वाली याचिका पर विचार कर रही थी।

उच्चतम न्यायालय ने एनजीटी के आदेश के अनुसार एनसीआर में राज्यों के परिवहन विभागों को 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहनों को सड़कों पर चलने से प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया था।

दूसरी ओर, एनजीटी ने आदेश दिया था कि 15 वर्ष से अधिक पुराने सभी डीजल या पेट्रोल वाहनों को सड़कों पर चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी तथा इसका अनुपालन न करने की स्थिति में मोटर वाहन अधिनियम के तहत वाहनों को जब्त करने सहित उचित कार्रवाई की जाएगी।

एनजीटी ने 26 नवंबर 2014 को कहा था, ‘‘यह निर्देश बिना किसी अपवाद के सभी वाहनों पर लागू होगा, अर्थात दो पहिया, तीन पहिया, चार पहिया, हल्के वाहन और भारी वाहन, चाहे वे वाणिज्यिक हों या अन्य।’’

यह आदेश राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में बढ़ते वायु प्रदूषण के स्तर को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया।

भाषा

देवेंद्र प्रशांत

प्रशांत


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