Supreme Court dismisses plea for registration of 'live-in' relationships

‘लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों का पंजीकरण मूर्खतापूर्ण विचार’.. सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

Supreme Court dismisses plea for registration of 'live-in' relationships

Edited By :   Modified Date:  March 20, 2023 / 01:58 PM IST, Published Date : March 20, 2023/1:36 pm IST

नई दिल्ली : Supreme Court dismisses plea for registration of ‘live-in’ उच्चतम न्यायालय ने केंद्र में ‘लिव-इन’ संबंधों के पंजीकरण को लेकर नियम बनाने का आग्रह करने वाली जनहित याचिका को ‘‘मूर्खतापूर्ण विचार’’ करार देते हुए सोमवार को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने याचिकाकर्ता ममता रानी के वकील से पूछा कि क्या वह इन लोगों की सुरक्षा बढ़ाना चाहती है या वह चाहती है कि वे ‘लिव-इन’ संबंधों में न रहें। इसके जवाब में वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता ‘लिव इन’ में रहने वाले लोगों की सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने के लिए इन संबंधों का पंजीकरण चाहती है।

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Supreme Court dismisses plea for registration of ‘live-in’ पीठ ने कहा, ‘‘ ‘लिव इन’ संबंधों के पंजीकरण का केंद्र से क्या लेना देना है? यह कैसा मूर्खतापूर्ण विचार है? अब समय आ गया है कि न्यायालय इस प्रकार की जनहित याचिकाएं दायर करने वालों पर जुर्माना लगाना शुरू करे। इसे खारिज किया जाता है।’’ रानी ने उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर केंद्र को ‘लिव-इन’ संबंधों के पंजीकरण के लिए नियम बनाने का निर्देश देने का आग्रह किया था। याचिका में ऐसे संबंधों में बलात्कार और हत्या जैसे अपराधों में वृद्धि का उल्लेख किया गया था। याचिका में श्रद्धा वाल्कर की कथित तौर पर उसके लिव-इन पार्टनर आफताब अमीन पूनावाला द्वारा हत्या किए जाने का हवाला देते हुए इस तरह के रिश्तों के पंजीकरण के लिए नियम और दिशानिर्देश बनाने का आग्रह किया गया था।

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जनहित याचिका में कहा गया था कि ‘लिव-इन’ संबंधों के पंजीकरण से ऐसे संबंधों में रहने वालों को एक-दूसरे के बारे में और सरकार को भी उनकी वैवाहिक स्थिति, उनके आपराधिक इतिहास और अन्य प्रासंगिक विवरणों के बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध होगी।वकील ममता रानी द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि बलात्कार और हत्या जैसे अपराधों में वृद्धि के अलावा, ‘‘महिलाओं द्वारा दायर किए जा रहे बलात्कार के झूठे मामलों में भारी वृद्धि हुई है, जिनमें महिलाएं आरोपी के साथ लिव-इन संबंध में रहने का दावा करती हैं और ऐसे में अदालतों के लिए सच्चाई का पता लगाना मुश्किल होता है।’’