नयी दिल्ली, आठ जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मनरेगा में कथित घोटाले से जुड़े धनशोधन के एक मामले में निलंबित भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के झारखंड कैडर की अधिकारी पूजा सिंघल के पति अभिषेक झा को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया है।
न्यायालय ने यह राहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा यह कहे जाने के बाद दी कि उनकी बेटी की चिकित्सा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उन्हें राहत दी जा सकती है।
सिंघल, 2000 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। वह खूंटी जिले की उपायुक्त रहने के दौरान 18.07 करोड़ रुपये के सरकारी धन का कथित गबन होने के मामले में मुख्य आरोपी हैं।
न्यायमूर्ति एस.के.कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि अपनी बेटी की चिकित्सा जरूरतों को लेकर पूर्व में रिहा की गईं सिंघल हिरासत में हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘चूंकि सिंघल के पति बच्ची की देखभाल के लिए उपलब्ध थे, इसलिए इस अदालत ने उस समय पत्नी को आत्मसमर्पण करने को कहा था और उन्होंने आत्मसमर्पण किया था।’’
पीठ ने पांच जुलाई को दिए आदेश में कहा, ‘‘एएसजी (ईडी का पक्ष रखने के लिए पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल) ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि पत्नी (सिंघल) की हिरासत और बीमार बेटी की देखभाल की जरूरत को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ता (झा) को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया जा सकता है, उन्हें यह राहत इसलिए भी दी जा सकती है कि वह स्पेशलिटी अस्पताल का भी संचालन करते हैं। हम उनका बयान दर्ज करते हुए याचिका का निस्तारण करते हैं।’’
शीर्ष अदालत ने झा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया, जिन्होंने 18 मई के झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी जिसने मामले में उनकी अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी थी।
सिंघल, 16 फरवरी 2009 से 19 जुलाई 2010 तक खूंटी जिले की उपायुक्त थीं।
भाषा धीरज सुभाष
सुभाष
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