‘क्या आपको नोटबंदी करने का अधिकार था’…? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब, RBI को भी नोटिस जारी

कोर्ट ने नोटबंदी के फैसले पर अब RBI और केंद्र सरकार से जवाब मांग लिया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने ये जवाब मांगा है।

‘क्या आपको नोटबंदी करने का अधिकार था’…? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब, RBI को भी नोटिस जारी

Order for immediate ban on Section 66A of IT Act

Modified Date: November 29, 2022 / 08:19 pm IST
Published Date: October 12, 2022 5:33 pm IST

Supreme court On Demonetisation:नई दिल्ली। मोदी सरकार द्वारा 2016 में लिए गए नोटबंदी के फैसले के संवैधानिक वैधता पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है। कोर्ट ने नोटबंदी के फैसले पर अब RBI और केंद्र सरकार से जवाब मांग लिया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने ये जवाब मांगा है।>>*IBC24 News Channel के WHATSAPP  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां CLICK करें*<<

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Supreme court On Demonetisation: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में छह साल से पेड़ पर लटका नोटबंदी का बेताल फिर से सरकार के कंधे पर आ लटका है। कोर्ट ने सरकार से जवाब देने को कहा है।

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Supreme court On Demonetisation: अदालत ने केंद्र और RBI से 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले पर 9 नवंबर को होने वाली सुनवाई से पहले व्यापक हलफनामा दाखिल करने को कहा है। 8 नवंबर, 2016 को रात 8 बजे अचानक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था।

कोर्ट ने केंद्र से पूछा ये सवाल

Supreme court On Demonetisation: पीठ ने केंद्र के 7 नवंबर 2016 को RBI के नाम लिखे पत्र और अगले दिन नोटबंदी के फैसले से संबंधित फाइलें तैयार रखने को कहा है। पीठ ने कहा है कि मुख्य सवाल यह है कि क्या सरकार के पास RBI अधिनियम की धारा 26 के तहत 500 और 1000 रुपये के सभी नोटों को बंद करने का अधिकार है? क्या नोटबंदी करने की प्रक्रिया उचित थी?

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आगे के लिए तय हो सकता है ये कानून

Supreme court On Demonetisation: चिदंबरम की दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को चुनौती देने के लिए 2016 से पड़ी 58 याचिकाओं को बाहर निकालते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक कानून तय किया जा सकता है। संविधान पीठ का कर्तव्य है कि वो मुकदमे में उठे सवालों के जवाब तलाशे।

केंद्र से कोर्ट ने मांगा जवाब

Supreme court On Demonetisation: बेंच शुरू में एसजी तुषार मेहता की इस टिप्पणी को स्वीकार कर याचिकाओं को निपटारा करना चाहती थी कि मामला निष्प्रभावी हो गया है और केवल अकादमिक हित रह गया था, लेकिन एक याचिकाकर्ता के वकील पी चिदंबरम ने कहा कि 1978 में नोटबंदी के लिए एक अलग कानून था। जब जनता पार्टी की केंद्रीय सरकार पहले अध्यादेश और फिर एक विधेयक संसद में लाई तब विधेयक को संसद ने कानून बना दिया, लेकिन अभी यह अकादमिक नहीं है। यह एक लाइव इश्यू है. हम इसे साबित करेंगे। यह मुद्दा भविष्य में बड़ा सिरदर्द हो सकता है।

Supreme court On Demonetisation: इस दलील के बाद पीठ का प्रथम दृष्टया विचार था कि इस मुद्दे पर गहन जांच की जरूरत है। इसके बाद ही कोर्ट ने केंद्र और RBI से विस्तृत हलफनामा मांग लिया। यानी 2016 के नवंबर से ही सुप्रीम कोर्ट में दाखिल होने और नोटिस के बाद अछूती पड़ी याचिकाओं को अचानक कोर्ट ने कोल्ड स्टोरेज से निकाला और सरकार से जवाब तलब शुरू कर दिया।

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