SC Dismisses Haryana Plea: हजारों युवाओं की नौकरी पर लटकी तलवार… अब नहीं मिलेगा 5 नंबर बोनस, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
SC Dismisses Haryana Plea: हजारों युवाओं की नौकरी पर लटकी तलवार... अब नहीं मिलेगा 5 नंबर बोनस, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
Today News and LIVE Update 29 November | Photo Credit : File
SC Dismisses Haryana Plea: नई दिल्ली। हरियाणा सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हरियाणा में सरकारी भर्ती परीक्षा में सामाजिक और आर्थिक आधार पर पिछड़े उम्मीदवारों को 5 नंबर का बोनस अंक देने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया है। इस मामले में हरियाणा सरकार फंसती हुई नजर आ रही है। एससी से राहत न मिलने के बाद सरकार पुनर्विचार याचिका दायर कर सकती है। अगर फिर भी राहत न मिली तो भर्तियां रद्द कर नए सिरे से परीक्षा लेनी होगी।
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5 मई 2022 को हुआ था लागू
बता दें कि हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने नौकरियों में सामाजिक और आर्थिक आधार पर पिछड़े उम्मीदवारों को 5 बोनस अंक देने का फैसला किया था, जिसे 5 मई 2022 से लागू किया गया था। सरकार के फैसले के अनुसार, अगर परिवार का कोई सदस्य सरकारी नौकरी में नहीं है और परिवार की आय सालाना 1.80 लाख रुपए से कम हैं तो ऐसे परिवार के आवेदक को 5 अतिरिक्त अंक का फायदा मिलता था। सरकार ने आय निर्धारित करने के लिए परिवार पहचान पत्र को आधार बनाया था। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट में 1.80 लाख सालाना इनकम वाले परिवारों को बोनस अंक का लाभ दिया था। राज्य के परिवार पहचान पत्र वाले युवाओं को ही यह फायदा मिला। साल 2023 में निकाली गई ग्रुप सी और डी की भर्ती में ये फैसला लागू हुआ था।
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हजारों युवाओं की नौकरी पर लटकी तलवार
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद साल 2023 में निकाली गई ग्रुप सी और और डी में नियुक्ति पा चुके 23 हजार युवाओं की नौकरी पर तलवार लटक गई है। अब उन्हें दोबारा एग्जाम देना पड़ेगा। अगर वे पास नहीं हो पाए तो नौकरी से बर्खास्त हो जाएंगे। इन्हें भर्ती वाले साल में ही नियुक्ति भी दे दी गई थी।
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हाई कोर्ट ने बोनस अंक देने के फैसले को किया था खारिज
बता दें कि पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट की डबल बेंच ने 31 मई 2024 को बोनस अंक देने के फैसले को खारिज किया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि यह एक प्रकार से आरक्षण देने जैसा है। जब आर्थिक पिछड़ा वर्ग के तहत राज्य सरकार ने पहले ही आरक्षण का लाभ दिया है तो यह आर्टिफिशियल श्रेणी क्यों बनाई जा रही है। हाई कोर्ट ने कहा था कि सरकारी नियुक्ति में किसी फायदे को एक राज्य के लोगों तक सीमित नहीं रखा जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 तथा नीति निर्देशक सिद्धांत पूरे भारत में लागू होते हैं। हाई कोर्ट ने आदेश में सभी पदों पर भर्ती के लिए नए सिरे से आवेदन मांगने को कहा था। सरकार को 6 महीने में भर्ती पूरी करने के लिए कहा गया था।

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