राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई, सरकार के विशेषाधिकार दावे पर सुरक्षित रखा फैसला

राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई, सरकार के विशेषाधिकार दावे पर सुरक्षित रखा फैसला

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  • Publish Date - March 14, 2019 / 11:32 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:40 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को देश के सबसे ज्वलंत राफेल मुद्दे में लगाई गई पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई हुई। मामले में केंद्र सरकार ने विशेषाधिकार का दावा करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट से कहा कि संबंधित विभाग की अनुमति के बगैर कोई भी इन्हें पेश नहीं कर सकता। वहीं, मामले को लेकर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि है। राष्ट्रहित को नजरअंदाज कर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े दस्तावेज प्रकाशित नहीं किया जा सकता।

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मामले में प्रशांत भूषण ने न्यायालय में अपनी बात रखते हुए कहा कि जिन दस्तवेजों पर अटार्नी जनरल विशेषाधिकार का दावा कर रहे हैं, वे प्रकाशित हो चुके हैं और सार्वजनिक दायरे में हैं। दौरान अटार्नी जनरल ने प्रशांत भूषण के तर्क पर जवाब देते हुए कहा कि संबंधित विभाग की अनुमति के बिना अदालत में गोपनीय दस्तावेज पेश नहीं किया जा सकता।

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सरकार ने एससी से कहा- दस्तावेज की फोटोकॉपी से देश की सुरक्षा पर असर
भूषण ने कोर्ट सूचना के अधिकार कानून के प्रावधान के अनुसार जनहित अन्य चीजों से सर्वोपरि है। खुफिया एजेन्सियों से संबंधित दस्तावेजों पर किसी प्रकार के विशेषाधिकार का दावा नहीं किया जा सकता। राफेल के अलावा ऐसा कोई अन्य रक्षा सौदा नहीं है जिसमे कैग की रिपोर्ट में कीमतों के विवरण को संपादित किया गया।

<blockquote class=”twitter-tweet” data-lang=”en”><p lang=”en” dir=”ltr”>Supreme Court reserves order on Centre claiming privilege over leaked documents in <a href=”https://twitter.com/hashtag/Rafale?src=hash&amp;ref_src=twsrc%5Etfw”>#Rafale</a> case <a href=”https://t.co/UaVOHvDtnv”>pic.twitter.com/UaVOHvDtnv</a></p>&mdash; ANI (@ANI) <a href=”https://twitter.com/ANI/status/1106143115684077568?ref_src=twsrc%5Etfw”>March 14, 2019</a></blockquote>
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सुप्रीम कोर्ट ने भूषण से कहा कि हम केंद्र की प्रारंभिक आपत्ति पर फैसला करने के बाद ही मामले के तथ्यों पर विचार करेंगे। भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि भारतीय प्रेस परिषद अधिनियम में पत्रकारों के सूत्रों के संरक्षण के प्रावधान हैं। उन्होंने ने न्यायालय से कहा कि राफेल सौदे में सरकार और सरकार के बीच कोई करार नहीं है क्योंकि इसमें फ्रांस ने कोई संप्रभू गारंटी नहीं दी है।