उच्चतम न्यायालय ने ईआईए से छूट प्रदान करने वाली अधिसूचना पर केंद्र से जवाब मागा

उच्चतम न्यायालय ने ईआईए से छूट प्रदान करने वाली अधिसूचना पर केंद्र से जवाब मागा

उच्चतम न्यायालय ने ईआईए से छूट प्रदान करने वाली अधिसूचना पर केंद्र से जवाब मागा
Modified Date: November 29, 2022 / 08:52 pm IST
Published Date: March 9, 2021 12:38 pm IST

नयी दिल्ली, नौ मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय सड़क ने परियोजना की लंबाई 100 किमी से कम रहने की स्थिति में पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) कराने से प्राधिकारों को छूट प्रदान करने संबंधी अधिसूचना को चुनौती देने वाली एक याचिका पर मंगलवार को केंद्र सरकार से जवाब तलब किया।

इसबीच, शीर्ष न्यायालय ने केंद्र सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और एक गैर सरकारी संगठन(एनजीओ) को आपस में उन नामों से एक दूसरे को अवगत कराने का निर्देश दिया, जिन्हें परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई पर उनके संपूर्ण मूल्य के आधार पर मानंदड तय करने वाली विशेषज्ञ समिति में नियुक्त करने का सुझाव दिया गया है।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह निर्देश जारी किया। पीठ, ‘एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स’ नाम के एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई कर रही है।

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यह याचिका पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर बारासात से पेट्रापोल तक राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच)-112 को चौड़ा करने और रेल ओवर ब्रिज के निर्माण के लिए 350 पेड़ काटे जाने के खिलाफ दायर की गई थी।

वीडियो कांफ्रेंस के जरिए हुई सुनवाई के दौरान एनजीओ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्त प्रशांत भूषण ने पीठ से कहा कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की उक्त अधिसूचना के खिलाफ एक अलग याचिका दायर की गई है।

यह अधिसूचना प्राधिकारों को 100 किमी से कम लंबी सड़क परियोजनाओं के चौड़ीकरण के लिए ईआईए कराने से छूट प्रदान करती है।

भूषण की दलील पर पीठ ने कहा, ‘‘हम इस पर नोटिस जारी करते हैं।’’ साथ ही, पीठ ने केंद्र को 18 मार्च तक जवाब देने को कहा।

पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यन भी शामिल हैं।

गौरतलब है कि 18 फरवरी को पीठ ने कहा था कि 100 किमी से कम लंबी सड़क परियोजना के पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) से प्राधिकारों को छूट देने वाली केंद्र की अधिसूचना को वह प्रथम दृष्टया रद्द करने का इच्छुक है।

पीठ ने एक मौखिक टिप्पणी में यह कहा था।

न्यायालय ने कहा था कि वह इस तरह की परियोजनाओं के लिए पेड़ों की कटाई पर मानदंड निर्धारित करने को लेकर एक विशेषज्ञ समिति गठित करने पर विचार करेगा।

न्यायालय ने कहा था, ‘‘हम इस पर दिशानिर्देश तय करेंगे। पहली बात तो हम आपसे यह कहना चाहते हैं कि परियोजना की लागत में पेड़ों की कीमत को भी शामिल किया जाए। दूसरी बात यह कि एक खास प्रजाति के और अधिक पुराने पेड़ कभी नहीं काटे जाएं। हम पेड़ों के परिपक्व होने की उम्र निर्धारित करता चाहते हैं।’’

न्यायालय ने इस तरह की परियोजनाओं के लिए पेड़ों की कटाई किये जाने के संबंध में मानदंड तैयार करने को लेकर समिति गठित करने के वास्ते सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित अन्य वकीलों से नाम सुझाने को भी कहा।

न्यायालय द्वारा गठित चार विशेषज्ञों की एक समिति ने बंगाल में पांच रेलवे ओवर ब्रिज के निर्माण के लिए काटे जाने वाले 300 पुराने पेड़ों की कीमत 220 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया था।

भाषा

सुभाष अनूप

अनूप


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