उच्चतम न्यायालय ने पुनरीक्षण अभियान की विसंगतियों का संज्ञान लिया: भाकपा (माले)

उच्चतम न्यायालय ने पुनरीक्षण अभियान की विसंगतियों का संज्ञान लिया: भाकपा (माले)

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  • Publish Date - July 10, 2025 / 06:16 PM IST,
    Updated On - July 10, 2025 / 06:16 PM IST

नयी दिल्ली, 10 जुलाई (भाषा) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने बृहस्पतिवार को कहा कि बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की कवायद से जुड़ी विसंगतियों तथा मतदाताओं को हो रही समस्याओं का संज्ञान लिया है।

उन्होंने यह भी कहा कि शीर्ष अदालत ने आधार, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को दस्तावेज में रूप में स्वीकार करने का सुझाव ‘‘न्याय के हित में’’ दिया है।

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को निर्वाचन आयोग को बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को जारी रखने की अनुमति देते हुए इसे ‘‘संवैधानिक दायित्व’’ बताया।

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने हालांकि, इस कवायद के समय पर सवाल उठाया और कहा कि बिहार में एसआईआर के दौरान आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड पर दस्तावेज के तौर पर विचार किया जा सकता है।

भट्टाचार्य ने एक बयान में कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयोग द्वारा अचानक शुरू किए गए पुनरीक्षण अभियान में निहित मूलभूत संवैधानिक और कानूनी विसंगतियों तथा अनियमितताओं के साथ-साथ बिहार के आम मतदाताओं को हो रही समस्याओं और असुविधाओं का भी संज्ञान लिया है। इस अर्थ में उच्चतम न्यायालय का आदेश मतदाताओं की उन बुनियादी आशंकाओं और आपत्तियों की पुष्टि करता है जो शीर्ष अदालत द्वारा सुनवाई की जा रही याचिकाओं में परिलक्षित होती हैं।’’

उन्होंने कहा कि आधार, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को ‘न्याय के हित में’ स्वीकार्य दस्तावेजों की सूची में शामिल करने की चुनाव आयोग को दी गई न्यायालय की सलाह जमीनी स्तर पर हर मतदाता की मांग को दर्शाती है।

भट्टाचार्य का कहना है, ‘‘उच्चतम न्यायालय की सुनवाई में बिहार में एसआईआर अभियान के पहले पंद्रह दिनों के वास्तविक अनुभव के आधार पर बिहार के मतदाताओं द्वारा व्यक्त की गई दो सबसे बुनियादी चिंताओं पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। अधिकतर मतदाता जमा किए गए गणना प्रपत्रों की कोई पावती न मिलने की शिकायत कर रहे हैं। प्रवासी श्रमिकों तथा अन्य जो किसी आपात स्थिति के कारण राज्य से बाहर हैं, उन्हें गणना प्रपत्र जमा करने में अत्यधिक कठिनाई हो रही है।’’

भाषा हक हक माधव

माधव