पठानकोट-जोगिंदरनगर विरासत रेल लाइन के आमान परिवर्तन का सर्वेक्षण जारी: वैष्णव

पठानकोट-जोगिंदरनगर विरासत रेल लाइन के आमान परिवर्तन का सर्वेक्षण जारी: वैष्णव

पठानकोट-जोगिंदरनगर विरासत रेल लाइन के आमान परिवर्तन का सर्वेक्षण जारी: वैष्णव
Modified Date: August 12, 2025 / 12:49 am IST
Published Date: August 12, 2025 12:49 am IST

धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश), 11 अगस्त (भाषा) ऐतिहासिक 200 किलोमीटर लंबी पठानकोट-जोगिंदरनगर ‘नैरो-गेज’ रेलवे लाइन का आधुनिकीकरण किया जाएगा और इसे ‘ब्रॉड गेज’ में बदलने के प्रयास चल रहे हैं।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा सदस्य इंदु बाला गोस्वामी को दिए जवाब में बताया कि आमान परिवर्तन के लिए सर्वेक्षण कार्य अभी प्रगति पर है।

उन्होंने कहा कि एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है और पूरी होने के बाद इसे हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ साझा किया जाएगा। इस परियोजना को अंतिम मंजूरी मिलने से पहले नीति आयोग और वित्त मंत्रालय से मंज़ूरी लेनी होगी।

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मंडी तक रेलवे लाइन के विस्तार पर, वैष्णव ने स्पष्ट किया कि ऐसी परियोजनाओं का मूल्यांकन विभिन्न मापदंडों के आधार पर किया जाता है, जिसमें आर्थिक व्यवहार्यता, यात्री और माल यातायात अनुमान, राज्य सरकार और सांसदों की मांग, परिचालन आवश्यकताएं और प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थलों से कनेक्टिविटी सहित सामाजिक-आर्थिक लाभ शामिल हैं।

पठानकोट-जोगिंदरनगर मार्ग को कांगड़ा घाटी रेलवे के नाम से भी जाना जाता है। दो फीट छह इंच (762 मिमी) की चौड़ाई वाली यह भारत की सबसे लंबी ‘नैरो-गेज लाइन है। वर्ष 1926 और 1929 के बीच निर्मित, यह लाइन लगभग 164 किलोमीटर लंबी है और 990 से ज़्यादा पुलों, दो सुरंगों और लगभग 500 मोड़ों के लिए प्रसिद्ध है। यह मार्ग धौलाधार पर्वतमाला के मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है और मनोरम कांगड़ा घाटी से होकर गुजरता है।

भाषा आशीष प्रशांत

प्रशांत


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