न्यायालय ने एम्स को अपने सभी संस्थानों में ‘रोस्टर’ आधारित आरक्षण लागू करने का निर्देश दिया |

न्यायालय ने एम्स को अपने सभी संस्थानों में ‘रोस्टर’ आधारित आरक्षण लागू करने का निर्देश दिया

न्यायालय ने एम्स को अपने सभी संस्थानों में ‘रोस्टर’ आधारित आरक्षण लागू करने का निर्देश दिया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:16 PM IST, Published Date : May 13, 2022/10:41 pm IST

नयी दिल्ली, 13 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (जिपमेर), पांडिचेरी की तरह अपने सभी संस्थानों में ‘रोस्टर’ आधारित आरक्षण लागू करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि यह इस वर्ष के लिए लागू होगा। इसके साथ ही पीठ ने एम्स को देरी होने पर अदालत से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी।

पीठ में न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, ‘हम निर्देश देते हैं कि जिपमेर द्वारा लागू की गई व्यवस्था की तरह ही सभी एम्स संस्थानों में वरीयता प्राप्त उम्मीदवारों के लिए रोस्टर प्वाइंट-आधारित आरक्षण लागू किया जाए। हालांकि, जरूरी नहीं है कि रोस्टर प्वाइंट जिपमेर के समान ही हो।’’

मामले में एम्स की ओर से वकील दुष्यंत पाराशर पेश हुए।

उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले राष्ट्रीय महत्व के संस्थान संबंधी संयुक्त प्रवेश परीक्षा में संस्थागत वरीयता वाले उम्मीदवारों के लिए ‘सीट मैट्रिक्स’ की खातिर परिभाषित मानदंड के अनुरोध वाली याचिका पर केंद्र और एम्स से जवाब मांगा था।

न्यायालय ने छात्रों के एक संगठन की याचिका पर स्वास्थ्य मंत्रालय, एम्स और अन्य को नोटिस जारी किया था।

पीठ छात्र संघ, एम्स भोपाल और अन्य द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

भाषा अविनाश पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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