ओबीसी वर्ग की 17 जातियों को एससी में शामिल करने का मामला, योगी सरकार के फैसले को केंद्र सरकार ने असंवैधानिक बताया

ओबीसी वर्ग की 17 जातियों को एससी में शामिल करने का मामला, योगी सरकार के फैसले को केंद्र सरकार ने असंवैधानिक बताया

ओबीसी वर्ग की 17 जातियों को एससी में शामिल करने का मामला, योगी सरकार के फैसले को केंद्र सरकार ने असंवैधानिक बताया
Modified Date: November 29, 2022 / 08:00 pm IST
Published Date: July 2, 2019 7:08 am IST

नईदिल्ली। राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि वह योगी सरकार से उस निर्णय को वापस लेने की मांग की है, जिसमें यूपी सरकार ने 17 ओबीसी जातियों को एससी में शामिल करने का निर्णय किया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि ये कानूनी रूप से उचित नहीं है। यह संसद का विशेषाधिकार है और यह किसी भी विधि न्यायालय में मान्य नहीं है।

दरअसल बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने मंगलवार को राज्यसभा के शून्यकाल में यूपी की 17 जातियों को संवैधानिक प्रक्रिया के तहत अनुसूचित जाति की लिस्ट में डालने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यूपी सरकार ने तीन दिन पहले इन 17 जातियों को ओबीसी की लिस्ट से बाहर कर दिया और अनुसूचित जाति का सर्टिफिकेट देने के लिए कहा गया है जो कि पूरी तरह से गैर संवैधानिक है।

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सतीश चंद्र मिश्रा के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री थवरचंद गहलोत ने कहा कि कौन जाति किस वर्ग में होगी यह काम संसद का है। अगर यूपी सरकार ने इन जातियों को ओबीसी से एससी में लाना चाहती है तो उसके लिए प्रक्रिया है और राज्य सरकार ऐसा कोई प्रस्ताव भेजेगी तो हम उस पर विचार करेंगे। लेकिन अभी जो आदेश जारी किया है वह संवैधानिक नहीं है। कोर्ट में भी यह आदेश निरस्त हो जाएगा।

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बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का आदेश जारी किया था। इनमें 17 जातियों में कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर, धीमर, वाथम, तुरहा, गोड़िया, मांझी और मछुआरा शामिल हैं।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com