किशोरों के सच्चे प्यार को कानून की कठोरता से नियंत्रित नहीं किया जा सकता : अदालत

किशोरों के सच्चे प्यार को कानून की कठोरता से नियंत्रित नहीं किया जा सकता : अदालत

किशोरों के सच्चे प्यार को कानून की कठोरता से नियंत्रित नहीं किया जा सकता : अदालत
Modified Date: January 11, 2024 / 10:10 pm IST
Published Date: January 11, 2024 10:10 pm IST

नयी दिल्ली, 11 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति के खिलाफ अपहरण और बलात्कार के मामले को रद्द करते हुए कहा कि किशोरों के बीच “सच्चे प्यार” को कानून या राज्य की कार्रवाई की कठोरता से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।

आरोपी नौ साल पहले एक लड़की के साथ भाग गया था जब वह नाबालिग थी।

उच्च न्यायालय ने कहा कि कभी-कभी, अदालतों के सामने आने वाली दुविधा एक ऐसे किशोर जोड़े के खिलाफ राज्य या पुलिस की कार्रवाई को उचित ठहराने की हो सकती है, जिन्होंने एक-दूसरे से शादी की और शांतिपूर्ण जीवन जीना जारी रखा, परिवार का पालन-पोषण किया और देश के कानून का पालन किया।

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न्यायमूर्ति स्वर्णकांत शर्मा ने कहा, “वर्तमान मामलों की तरह, ऐसे मामले हैं जहां न्यायाधीश की दुविधा, जो दुर्लभ हो सकती है, को उस नाजुक संतुलन को ध्यान में रखना पड़ता है जिसे संवैधानिक न्यायालय या अदालतों को कानून व इसका सख्ती से लागू होना और इसके निर्णयों तथा आदेशों का प्रभाव ऐसे कानूनों को समग्र रूप से समाज और इससे समक्ष आने वाले व्यक्तियों पर लागू करना के बीच बनाना होता है।”

उच्च न्यायालय ने लड़की के अपहरण और बलात्कार के अपराध के लिए 2015 में याचिकाकर्ता व्यक्ति के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द कर दिया। लड़की ने दावा किया था कि वह उस वक्त बालिग थी जबकि पुलिस का कहना था कि घटना के समय वह नाबालिग थी।

घर से भागने के बाद दोनों ने शादी मुस्लिम रीति रिवाज से कर ली थी और लड़के के माता-पिता का उन्हें आशीर्वाद प्राप्त था। लड़की के पिता ने उस आदमी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी और जब पुलिस ने उन्हें पकड़ा तो लड़की पांच महीने की गर्भवती पाई गई।

भाषा प्रशांत माधव

माधव


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