कफ सिरप और नशीली दवाओं के अवैध कारोबार और भंडारण में लिप्त दो सगे भाई गिरफ्तार: एसटीएफ
कफ सिरप और नशीली दवाओं के अवैध कारोबार और भंडारण में लिप्त दो सगे भाई गिरफ्तार: एसटीएफ
लखनऊ, 11 दिसंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने बृहस्पतिवार को फेंसेडिल कफ सिरप और कोडिन युक्त अन्य दवाओं का नशे के रूप में अवैध कारोबार और भंडारण करने के आरोपी दो सगे भाइयों को गिरफ्तार किया है। एसटीएफ ने यह जानकारी दी।
उसने एक बयान में बताया कि यह गिरफ्तारी राजधानी लखनऊ में हुई और गिरफ्तार आरोपियों की पहचान सहारनपुर जिले के सदर बाजार थाना क्षेत्र में कपिल विहार निवासी सगे भाइयों अभिषेक शर्मा और शुभम शर्मा के रूप में हुई।
बयान के मुताबिक एसटीएफ ने आरोपियों को यहां आलमबाग मवैया रोड पर टेढ़ी पुलिया के पास बृहस्पतिवार तड़के करीब 4:30 बजे गिरफ्तार किया और उनके कब्जे से दो मोबाइल फोन और फर्जी फार्मा कंपनी से संबंधित 31 दस्तावेज बरामद किए।
बयान के अनुसार एसटीएफ को सूचना मिली थी कि एबॉट कंपनी के दिल्ली के डिस्ट्रीब्यूटर एवं मामले में वांछित अभिषेक शर्मा तथा शुभम शर्मा किसी कार्य से लखनऊ आए हुए हैं।
सूचना यह भी थी कि बस अड्डे से उतरकर दोनों हजरतगंज में किसी से मिलने जाने वाले हैं । इसी सूचना पर स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर एसटीएफ ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
बयान के अनुसार, पूछताछ में अभिषेक शर्मा ने बताया कि 2019 से वह विशाल सिंह एवं विभोर राणा के यहां जीआर ट्रेडिंग दवा की फर्म में काम कर रहा था। शुरू में वह सामान चढ़ाने-उतारने का कार्य देखा करता था और उससे संबंधित रिकॉर्ड रखता था।
बयान के मुताबिक अभिषेक ने बताया कि विभोर और विशाल भारी मात्रा में कफ सिरप मंगाते थे और नशे के रूप में प्रयोग करने के लिए तस्करों को उसकी आपूर्ति करते थे। उसने पूछताछ में यह भी दावा किया कि यह आपूर्ति बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश तक की जाती थी।
एसटीएफ के अनुसार पूछताछ में आरोपी ने यह भी बताया कि फर्जी फर्म बनाने में और खरीद-बिक्री दिखाने में सीए अरुण सिंघल उनका सहयोग करता था। अरुण सिंघल ने बिट्टू कुमार एवं सचिन कुमार की पहचान के आधार पर सचिन मेडिकोज नाम से एक फर्म सहारनपुर में तथा सचिन मेडिकोज के ही नाम पर दूसरी फर्म भगवान पुर (रुड़की) में बनाई।
बयान के अनुसार आरोपी कागजों में फेंसेडिल कफ सिरप की फर्जी खरीद-बिक्री दिखाते थे और फर्जी ई वे बिल तैयार कर तस्करों को भेज देते थे। वर्ष 2021 में इन लोगों का माल कई जगह पकड़ा गया जिसमें मालदा (पश्चिम बंगाल) के मुकदमे में 2022 में विभोर राणा को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। राणा के जेल से छूटकर आने के बाद इन लोगों ने जीआर ट्रेडिंग से काम करना बंद कर दिया।
अभिषेक के अनुसार इसके बाद सचिन मेडिकोज के नाम से जो फर्म रुड़की के भगवानपुर में बनी थी, उसका नाम दिसंबर 2023 में बदलकर “मारुति मेडिकोज” कर दिया गया। इस दौरान जीआर ट्रेडिंग से काम बंद हो जाने पर अरुण सिंघल उनके यहां से चला गया।
उसने बताया कि फिर सिंघल ने विशाल और विभोर के कहने पर शुभम शर्मा, बालाजी संजीवनी, मनीष पुंडीर, विष्णु प्रिया और बिट्टू के नाम पर “चरण पादुका” के नाम से तथा अन्य कई बोगस फॉर्म उनके नौकरों तथा परिचितों के नाम पर बनाई थी। इन फ़र्मों से भी फेंसेडील की फर्जी बिक्री दिखाई गई।
एसटीएफ के मुताबिक अभिषेक ने बताया कि अरुण सिंघल के कंपनी छोड़कर चले जाने के बाद विभोर राणा तथा विशाल सिंह के कहने पर उसने मारुति मेडिकोज का काम देखना शुरू कर दिया। मारुति मेडिकोज को जनवरी 2024 में एबॉट कंपनी उत्तराखंड का सुपर डिस्ट्रीब्यूटर बना दिया गया। उसके सभी बिलों पर अभिषेक शर्मा ही सचिन कुमार के नाम पर साइन करता था तथा इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से लेनदेन भी करता था।
इसी दौरान शर्मा के नाम पर भी दिल्ली में ‘एवी फार्मास्यूटिकल्स’ नामक कंपनी पप्पन यादव के पार्टनरशिप में बनाई गई जिसका सारा काम विशाल सिंह और विभव राणा का साथी सौरभ त्यागी और पप्पन यादव देखा करते थे।
एसटीएफ ने कहा कि पूर्व में सुशांत गोल्फ सिटी थाने में दर्ज अभियोग में गिरफ्तार शर्मा बंधुओं के मामले में अग्रिम विधिक कार्यवाही की जा रही है।
बयान के अनुसार पूछताछ में आरोपी शुभम शर्मा ने बताया कि वह इन्टर तक पढ़ा है और 2017 में दुबई चला गया था और वहां उसने दुबई पोर्ट वर्ल्ड (डीपीडब्ल्यू) में पोर्ट आपरेशनल ऑफिसर के पद पर नौकरी की।
उसने बताया कि “मैं अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया जाना चाहता था। इसलिए वापस इंडिया आ गया और यहां आने पर बड़े भाई अभिषेक के माध्यम से विशाल सिंह एवं विभोर राणा से मुलाकात हुई। इन लोगों ने मुझे बिजनेस करने की बात कही और मुझसे डॉक्यूमेंट आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि ले लिए तथा मेरे नाम पर श्री बालाजी संजीवनी नाम से एक फर्म बना दी।”
दोनों आरोपियों ने पूछताछ में तस्करी में संलिप्त पश्चिम बंगाल के अपने दो अन्य सहयोगियों के बारे में जानकारी दी है जिनके बारे में अभिसूचना एवं साक्ष्य संकलन की कार्रवाई की जा रही है।
भाषा आनन्द राजकुमार नरेश
नरेश

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