रैगिंग, यौन उत्पीड़न, जातिगत पूर्वाग्रह से निपटने के लिए यूजीसी को विचार करना चाहिए: न्यायालय

रैगिंग, यौन उत्पीड़न, जातिगत पूर्वाग्रह से निपटने के लिए यूजीसी को विचार करना चाहिए: न्यायालय

रैगिंग, यौन उत्पीड़न, जातिगत पूर्वाग्रह से निपटने के लिए यूजीसी को विचार करना चाहिए: न्यायालय
Modified Date: September 15, 2025 / 10:04 pm IST
Published Date: September 15, 2025 10:04 pm IST

नयी दिल्ली, 15 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को निर्देश दिया कि वह मसौदा नियम तैयार करते समय उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या को रोकने के लिए रैगिंग, यौन उत्पीड़न और जाति, लिंग, दिव्यांगता तथा अन्य पूर्वाग्रहों के आधार पर भेदभाव से निपटने के सुझावों पर विचार करे।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से दो महीने के भीतर सुझावों पर विचार करने को कहा है। पीठ ने रोहित वेमुला और पायल तड़वी की माताओं के सुझावों पर भी विचार करने को कहा है, जिन्होंने अपने-अपने परिसरों में जाति आधारित भेदभाव का सामना करने के बाद कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी।

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मसौदा नियम प्रकाशित किए गए थे और एक विशेषज्ञ समिति ने प्राप्त 300 से अधिक आपत्तियों की पड़ताल की थी।

 ⁠

उन्होंने कहा, ‘‘विशेषज्ञ समिति ने आपत्तियों की पड़ताल के बाद यूजीसी से मसौदा नियमों में कुछ संशोधन करने को कहा है। यूजीसी वर्तमान में विशेषज्ञ समिति की उन सिफारिशों की जांच कर रही है।’’

संबंधित माताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि वे चाहती हैं कि यूजीसी उनके सुझावों पर विचार करे, ताकि किसी और की जान न जाए।

शीर्ष अदालत ने यूजीसी को आठ सप्ताह के भीतर सुझावों पर विचार करने का निर्देश दिया।

भाषा

नेत्रपाल माधव

माधव


लेखक के बारे में